खालिस्तान के नाम पर आतंकी गतिविधि और मादक पदार्थों की तस्करी करानेवाला परमजीत सिंह पंजवर उर्फ मलिक सरदार सिंह मारा गया। पंजवर को पाकिस्तान में ही निपटाया गया, वह पाकिस्तान प्रायोजित खालिस्तानी आतंक का हिस्सा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार तथाकथित खालिस्तान समर्थक पंजवर को मोटर साइकिल पर सवार दो लोगों ने गोली मार दी थी। इस हत्या को लेकर आशंका है कि, पाकिस्तान की आतंकी एजेंसी ने ही उसे निपटाया है।
खालिस्तान समर्थक आतंकी परमजीत सिंह पंजवर उर्फ मलिक सरदार सिंह पाकिस्तान के लाहौर में स्थित जौहर टाउन में रहता था। वह सुबह अपने घर के आसपास टहल रहा था, इसी बीच दो मोटर साइकिल सवार आए और उन्होंने पंजवर को गोलियों से भून दिया। गोलियों की आवाज सुनकर लोग इकट्ठा हुए और पंजवर को अस्पताल ले गए, लेकिन उसके पहले ही पंजवर की जान निकल गई थी। भारत ने वर्ष 2020 में पंजवर को आतंकी घोषित किया था।
कौन था पंजवर?
परमजीत सिंह पंजवर उर्फ मलिक सरदार सिंह का जन्म पंजाब के तरनतारन में हुआ था। वह सोहल में एक बैंक में नौकरी भी करता था। लेकिन, वह अपराधी मानसिकता का था। जिसके कारण वह सिख उग्रवाद की ओर चला गया। जिसके बाद वह हत्या, नशीली दवाओं और हथियार की तस्करी में जुड़ गया। इसमें उसे पाकिस्तान की आतंकी एजेंसी से मदद मिली और उसने 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स का गठन किया। जब उसकी करतूतों पर भारत सरकार ने कड़े कदम उठाने की पहले की तो वह भागकर अपने आकाओं के पास पाकिस्तान चला गया। वहां से पंजवर पंजाब में मादक पदार्थ, हथियार तस्करी के द्वारा भिजवाता था।
पाकिस्तान से भारत के विरुद्ध आतंक
परमजीत सिंह पंजवर पाकिस्तान के लाहौर में रहता था। वहां खालिस्तान के नाम पर रेडियो पाकिस्तान के माध्यम से भारत विरोधी भड़काऊ और देशद्रोही कार्यक्रम प्रसारित करता था। वह पंजाब के युवकों को भड़काकर उन्हें हथियारों का प्रशीक्षण दिलाने की व्यवस्था में लगा था। ऐसा आरोप है कि, इसके लिए पंजवर ने पंजाब के स्थानीय अपराधी प्रवृत्ति के युवकों का चयन किया था। पंजाब के युवाओं को मादक पदार्थ के नशे में ढकेलने में पंजवर बड़ा आरोपी था।
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आतंकी संगठन है खालिस्तान कमांडो फोर्स
परमजीत सिंह पंजवर उर्फ मलिक सरदार सिंह पर टाडा और देशद्रोही गतिविधियों के अंतर्गत दो जर्जन से अधिक प्रकरण पंजीकृत हैं। 1986-87 के बीच जब पंजाब में खालिस्तान के नाम आतंकी संगठनों के गठन की हवा चली थी, उसी समय वासन सिंह जफरवाल ने खालिस्तान कमांडो फोर्स की शुरुआत की। समयांतर में जफरवाल के साथ पंजाब पुलिस का भगोड़ा कांस्टेबल और पंजवार निवासी सुखदेव सिंह उर्फ सुखा भी जुड़ गया। 1989 में सुखा मुठभेड़ में मार गिराया गया। इसके बाद खालिस्तान कमांडो फोर्स का प्रमुख कंवरजीत सिंह बना और जब उसकी मौत हुई तो परमजीत सिंह पंजवर मुखिया बन गया। जब भारत सरकार ने पंजवार पर नकेल कसी तो अपनी जान बचाकर पंजवार पाकिस्तान भाग गया।