‘महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष’ प्रकरण में राज्य सरकार और शिवसेना को लेकर लगभग 16 याचिकाओं पर निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ने सुना दिया है। इसमें 16 विधायकों की अपात्रता और उद्धव ठाकरे सरकार से संबंधित विविध याचिकाओं पर निर्णय है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि, 16 विधायकों की अपात्रता का निर्णय अब विधानसभा अध्यक्ष करेंगे। इसके अलावा न्यायालय ने शिवसेना किसकी इस पर भी आदेश दिया है। इसके साथ भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार बनी रहेगी, क्योंकि न्यायालय के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने त्यागपत्र दिया था।
राज्य में शिवसेना में पड़ी फूट के बाद महाविकास आघाड़ी के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने त्यागपत्र दे दिया और सरकार गिर गई। लेकिन महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष के बीच कई कानूनी लड़ाइयां शुरू हो गईं। जिसमें तत्कालीन शिवसेना से संबद्ध 16 विधायकों की अपात्रता का मुद्दा भी महत्वपूर्ण था। इसकी सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में पहुंची थी। इसी के साथ कुल 16 प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में थे। जिनकी सुनवाई पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ में पूरी हुई थी।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- विधानसभा अध्यक्ष तय समय में करें विधायकों की अपात्रता की निर्णय
2. विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग निश्चित करें शिवसेना किसकी?
3. राज्यपाल के निर्णय गैर संवैधानिक
4. ठाकरे ने त्यागपत्र दिया अन्यथा सरकार वापसी हो सकती थी
5. शिवसेना में फूट की जानकारी 3 जुलाई को अध्यक्ष को थी। ऐसे में अध्यक्ष को इसकी जांच करनी चाहिये थी।
6. भरत गोगावले की प्रतोद पद पर नियुक्ति गैरकानूनी
7. व्हिप सिर्फ राजनीतिक दल ही दे सकता है
8. शिवसेना पर कोई गुट नहीं कर सकता क्लेम
9. राज्यपाल द्वारा शक्ति परीक्षण का आदेश अनुचित, कुछ विधायकों की नाराजगी इसका कारण नहीं हो सकती
10. शिवसेना के प्रतोद सुनील प्रभु की नियुक्ति वैध
9 दिन की सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय ने 9 दिनों की सुनवाई के बाद 16 मार्च को महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। इस प्रकरण की सुनवाई मुख्यन्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश एम.आर शाह, न्यायाधीश कृष्ण मुरारी, न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायाधीश पी.एस नरसिम्हा की खंडपीठ कर रही थी। न्यायाधीश एम.आर शाह सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी सेवानिवृत्ति के पहले महाराष्ट्र के प्रकरण में निर्णय अपेक्षित था।