महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी के जन्म के साथ ही त्रिशंकु सरकार का गठन हुआ, जिसके मुख्यमंत्री तत्कालीन शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे बने। यह सरकार लगभग ढाई वर्ष चली, इसके बाद शिवसेना में बड़े अतंरर्विरोध ने जन्म लिया जो महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष में बदल गया। एक दृष्टि घटनाक्रम पर…
1. महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष तब शुरू हुआ, जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग का संदेह जताया और शिवसेना के सभी विधायकों की एक बैठक बुलाई। तत्कालीन शिवसेना की उस बैठक में सभी विधायकों को व्हिप जारी करके उपस्थित रहने को कहा गया। हालांकि, शिवसेना नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे 11 विधायकों के साथ अनुपस्थित रहे। उसी दिन, पता चला कि एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी शिवसेना के दर्जन भर विधायकों के साथ सूरत के ले मेरिडियन होटल में ठहरे हुए थे।
2. शिवसेना में अतर्विरोध सूचना मिलते ही शिवसेना ने शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया। जब शिवसेना महाविकास आघाड़ी के घटक दल कांग्रेस और राकांपा के साथ बैठक कर रही थी, उस समय विद्रोही शिवसेना विधायक सूरत से असम पहुंच गए। वहां पर एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि, उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है, जो दलबदल विरोधी कानून को समर्थन देने के लिए आवश्यक संख्या से अधिक है।
3. तीसरे दिन, दीपक केसकर (सावंतवाड़ी से विधायक), मंगेश कुडालकर (चेंबूर) और सदा सरवणकर (दादर) भी गुवाहाटी पहुंचे। गुवाहाटी के होटल में एकनाथ शिंदे समर्थकों के शक्ति प्रदर्शन में पहली बार एक वीडियो सामने आया जिसमें विधाक दिखे। शिवसेना ने कहा कि विधायकों का “अपहरण किया गया और गुवाहाटी ले जाया गया”।
4. भाजपा और एकनाथ शिंदे दोनों ने विद्रोह में पूर्व की भागीदारी से इनकार किया, यहां तक कि शिवसेना ने 16 बागी विधायकों की अयोग्यता की मांग की। अपात्रता की उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने तत्कालीन उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल को सौंपी। इसके बाद, दो निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया। इस अविश्वास प्रस्ताव पर 34 विधायकों के हस्ताक्षर थे। हालाँकि, इसे उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि याचिका एक गुमनाम ई-मेल के माध्यम से भेजी गई थी न कि, विधायक द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
5. राजनीतिक नाटक सड़कों पर फैल गया क्योंकि शिवसेना पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कुछ विद्रोही विधायकों के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उद्धव ठाकरे के समर्थन में नारे लगाए। पुणे में बागी विधायक तानाजी सावंत के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई। एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे के ठाणे स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ की गई।
विधानसभा उपाध्यक्ष ने तब 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर शिवसेना द्वारा बुलाई गई संसदीय दल की बैठक में उनकी अनुपस्थिति के बारे में जवाब मांगा।
6. एकनाथ शिंदे ने विधानसभा उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास मत के अस्वीकृति किये जाने पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। शीर्ष न्यायालय ने विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाकर 12 जुलाई तक कर दी गई और शिंदे और उनके साथ के विधायकों के समूह को अंतरिम राहत दी। सर्वोच्च न्यायालय ने पूरक दस्तावेजों के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल से पूरा हलफनामा मांगा कि क्या विधानसभा उपाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ और क्यों खारिज कर दिया गया। उसी दिन, उद्धव ठाकरे ने नौ बागी मंत्रियों का प्रभार अपने मंत्रिमंडल में अन्य मंत्रियों को सौंप दिया।
7. अगले दिन, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने असम के गुवाहाटी में ठहरे विद्रोही गुट के विधायकों से एक भावनात्मक अपील की, उन्होंने विधायकों को मुंबई लौटकर बातचीत का न्यौता दिया। लेकिन, इसके दूसरी ओर तत्कालीन शिवसेना के नेता और कार्यकर्ताओं द्वारा विद्रोही विधायकों पर शाब्दिक हमला और तोड़फोड़ भी चल रहा था। इसके कारण एकनाथ शिंदे गुट उद्धव ठाकरे की अपील से अविचलित रहा।
इस बीच, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और उन्हें राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने के लिए एक पत्र सौंपा। भाजपा की अपील के बाद, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के निर्देश जारी किए। यह शक्ति परीक्षण गुरुवार 30 जून, 2022 को होना तय किया।
8. अगले दिन, बागी विधायकों ने गुवाहाटी के लग्जरी होटल से चेक आउट किया और कथित तौर पर अगले दिन होने वाली विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए गोवा पहुंचे। उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी।
9. अचानक शाम बुधवार 29 जून, 2022 को, उद्धव ठाकरे ने एक फेसबुक लाइव में सीएम के रूप में और विधान परिषद के सदस्य के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा की। गोवा में शिवसेना के विद्रोही विधायकों से मंत्रणा करने के बाद एकनाथ शिंदे अकेले मुंबई पहुंचे। इस बीच, महाराष्ट्र भाजपा कोर समूह ने मुंबई में देवेंद्र फडणवीस के आधिकारिक आवास पर बैठक की। शिंदे के मुंबई पहुंचने के बाद, उन्होंने और फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की।
10. इसके तुरंत बाद, देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किया, साथ ही यह भी कहा कि वह राज्य सरकार का हिस्सा नहीं होंगे। परंतु, कुछ ही देर में भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा के निर्देश के बाद देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बनना स्वीकार कर लिया।
Join Our WhatsApp Community