केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से पहले मणिपुर की राजधानी इंफाल में 28 मई को ताजा हिंसा भड़क उठी, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने दावा किया है कि इस दौरान 40 उग्रवादी ढेर किए गए हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पश्चिम जिले के फयेंग में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा चलाई गई गोली में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।
तलाशी के दौरान शुरू हो गया संघर्ष
अधिकारियों ने कहा कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा शांति कायम करने के लिए हथियारबंद समुदायों की तलाशी अभियान शुरू करने के बाद ताजा संघर्ष शुरू हुआ।
40 उग्रवादी ढेर
प्रदेश के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दावा किया कि “संघर्ष समुदायों के बीच नहीं बल्कि आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुआ है और इसमें 40 उग्रवादा मारे गए हैं”। मुख्यमंत्री ने 28 मई को कहा कि जातीय दंगों से घिरे मणिपुर में शांति बहाली के लिए अभियान शुरू करने के बाद से सुरक्षा बलों ने लगभग 40 सशस्त्र उग्रवादियों को मार गिराया है। उग्रवादी घरों में आग लगाने और नागरिकों पर गोलीबारी करने में शामिल थे।
मुख्यमंत्री का गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा नागरिकों पर एके-47, एम-16 और स्नाइपर राइफलों से गोलीबारी करने के मामले सामने आए हैं। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में इन आतंकियों को निशाना बनाया। सीएम ने जनता से सुरक्षाकर्मियों की आवाजाही में बाधा नहीं डालने की अपील की और उनसे “सरकार में विश्वास रखने और सुरक्षा बलों का समर्थन करने” का आग्रह किया।
सिंह ने कहा, “हमने लंबे समय तक यहां संघर्ष और खूनी हिंसा देखी है, और हम एक बार फिर राज्य को बिखरने नहीं देंगे।” सिंह ने कहा कि 38 संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है और राज्य पुलिस वहां अभियान चला रही है।
मणिपुर सरकार ने इंटरनेट प्रतिबंध 31 मई तक बढ़ाया
पिछले 10 घंटों में हुई हिंसा के बाद इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों में 11 घंटे की कर्फ्यू छूट अवधि को घटाकर केवल साढ़े छह घंटे कर दिया गया है। मणिपुर सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध को और पांच दिनों के लिए 31 मई तक बढ़ा दिया है। आगजनी सहित हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच यह विस्तार किया गया है।
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कैसे शुरू हुई हिंसा?
3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद सबसे पहले मणिपुर में 75 से अधिक लोगों की जान लेने वाली जातीय झड़पें हुईं, जो मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मांग के विरोध में आयोजित की गई थीं।