दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर! रणजीत सावरकर ने किया स्वागत

दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचार, जीवन कार्य और राजनीति को पढ़ा जाएगा।

288
दिल्ली विश्वविद्यालय

दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विषय को सम्मिलित करने का प्रस्ताव सामने आया है। इसे बी.ए ऑनर्स के राजनीति शास्त्र के पाठ्यक्रम में विषय को सम्मिलित करने का निर्णय किया गया है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्णय स्वागत किया है।

स्वतंत्रता के पश्चात क्रांतिकारियों की भूमिका को मात्र चंद पंक्तियों की चर्चा में ही सीमित करने का बड़ा षड्ंयत्र रचा गया था। परंतु, काल बदला तो सत्ता भी बदली है और नई वैचारिक शक्तियों ने जब शिक्षा में सक्रियता बढ़ाई तो क्रांतिकारियों का इतिहास अब सार्वजनिक हो रहा है। क्रांति प्रणेता स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर बड़ा निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय ने किया है। कला संकाय (बी.ए -ऑनर्स) के पाठ्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर को विषय के रूप में सम्मिलित करने का प्रस्ताव बना है, जिसे विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद के समक्ष अंतिम रूप दिया जाएगा। इस निर्णय का स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने स्वागत किया है।

यह अभिनंदनीय है, स्वातंत्र्यवीर सावरकर मात्र क्रांतिकारी, देशभक्त, समाज सुधारक या वक्ता ही नहीं थे। वे एक निपुण राजनीतिज्ञ भी थे, वर्तमान समस्याओं का आंकलन इतिहास की दृष्टि से करते हुए उन्होंने यह बताया कि, भविष्य में क्या होगा, इस ओर उन्होंने कई बार सचेत किया। लेकिन, हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण राष्ट्र का बँटवारा समेत अनेक समस्याओं का हमें सामना करना पड़ा। उन्होंने विदेश नीति के बारे में स्पष्ट कहा था कि, दो देशों के संबंध उनके आपसी हितों पर आधारित होना चाहिये, न कि राजनीतिक विचारों के ऊपर। इस पर पैंसठ वर्षों तक ध्यान नहीं दिया गया। परंतु, पिछले दस वर्षों से भारत की विदेश नीति सावरकर की विचारों के अनुसार चल रही है, जिसका परिणाम सामने है। दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का अभिनंदन करता हूं क्योंकि, अब उन्हें स्वातंत्र्यवीर सावरकर के कार्य और उनके जीवन का अध्ययन करने को मिलेगा। छात्रों ने वीर सावरकर और गांधी के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन किया तो उन्हें राजनीति शास्त्र का सही आंकलन करने को मिलेगा। इस अवसर के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय का भी आभार व्यक्त करता हूं।

रणजीत सावरकर, कार्याध्यक्ष -स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई

दिल्ली विश्वविद्यालय का निर्णय
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बी.ए (ऑनर्स) के पाठ्यक्रम में कुल 11 पाठ हैं। उसमें राजा राममोहन रॉय, पंडिता रमाबाई, स्वामी विवेकानंद, गांधी और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पर विषयों का समावेश है। इस विषय में बी.ए ऑनर्स के पांचवे सत्र में गांधी पर पेपर था और छठवे सत्र में डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर पर पेपर है। अब दिल्ली विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम में वीर सावरकर का विषय समाविष्ट किया है। इस निर्णय के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने पाकिस्तानी लेखक इकबाल पर आधारित पाठ्यक्रम हटा दिया है। इस संदर्भ में प्रस्ताव को मान्यता मिल गई है, परंतु अंतिम निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद लेगी।

ये भी पढ़ें – पीएफआई का काम, अलग नाम! हिंदू नेता-पत्रकारों की हो गई रेकी, आए इस्लामी आतंक के निशाने पर?

दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘हे मृत्युंजय’ का हुआ था जयघोष
विश्वविद्यालयों में स्वातंत्र्यवीर सावरकर अध्ययन पीठ शुरू करने की मांग लंबे काल से हो रही थी। इस संबंध में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी। इन प्रयत्नों को यश मिलना शुरू हो गया है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की ओर से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उमेश कदम को नियुक्त किया गया था, जिन्हें देश में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन कार्यों पर सेमिनार, व्याख्यान और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करने की जिम्मेदारी थी। उसके पहले स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘हे मृत्युंजय’ का सफल मंचन किया गया था।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.