ग्रेटा थनबर्ग की टूल किट को भले ही सबने हवा समझकर भुला दिया हो लेकिन क्या किसान इसका पालन कर रहे हैं? इसको लेकर अब पुनर्विचार की आवश्यकता है क्योंकि किसानों ने ऑन ग्राउंड प्रदर्शन में अब रेल रोको की घोषणा कर दी है। ये प्रदर्शन 18 फरवरी, 2021 को है। उसके पहले राजस्थान में टोल फ्री अभियान होगा।
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से चर्चा के लिए जब तैयारी की बात कर रहे थे। उसी समय के लगभग संयुक्त किसान मोर्चा देशव्यापी रेल रोको आंदोलन की व्यूह रचना गढ़ रहा था। शाम होते-होते किसान मोर्चा ने 18 तारीख को रोल रोको आंदोलन की घोषणा कर दी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी घोषणा में दो प्रमुख बातों का उल्लेख किया है। जिसमें से पहली घोषणा है 12 फरवरी, 2021 से राजस्थान में टोल वसूली बंद करा दी जाएगी यानी सभी टोल फ्री कर दिये जाएंगे। दूसरी घोषणा देशव्यापी रेल रोको की है। जो 18 फरवरी, 2021 को दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा की ये घोषणाएं ग्रेटा थनबर्ग की टूल किट से मेल खाती नजर आ रही है। इसके अंतर्गत दो मुद्दों पर इन आंदोलन की घोषणा मेल खाती है।
- ऑन ग्राउंड प्रोटेस्ट में हिस्सा लें
- भारतीय कारोबारियों को क्षति पहुंचाए
टूल किट से मेल कैसे?
- सरकार के सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर देना
- गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के माध्यम से देश के मान को नुकसान पहुंचाना
- सरकारी संपत्तियों को क्षति पहुंचाना
- सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को निर्ममता से पीटना
- कनाडा में खालिस्तानी मो धालीवाल ने भारतीय कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल करने के लिए कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं को गुमराह कर ट्वीट कराना
- आंदोलन पर चक्का जाम करना
- रेल रोको की घोषणा
- टोल नाका बंद करवाना
अब प्रश्न खड़ा होता है कि संयुक्त किसान मोर्चा और टूल किट के निर्माणकर्ताओं और जारीकर्ताओं में क्या संबंध है? और ये किसान देश में किस खेती की नींव रखने के लिए लड़ रहे हैं?
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