महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने देवस्थल पर दर्शन के लिए वस्त्र संहिता लागू कर दी है। जिसके अंतर्गत अब मंदिर दर्शन के लिए शालीन (पारंपरिक/सांस्कृतिक) परिधान धारण करने के बाद प्रवेश मिलेगा। इसके अंतर्गत राज्य के 114 मंदिर शामिल किये गए हैं।
मंदिर हिंदू आस्थाओं का केंद्र हैं, जहां प्रतिदिन लाखों आस्थावान दर्शन पूजन करते हैं। इन मंदिरों की पवित्रता का जितना ध्यान रखा जाता है, उसी प्रकार अब भक्तों की भावनाओं पर लक्ष्य केंद्रित किया है। इसके लिए राज्य के मंदिरों का एक संयुक्त संघ बना है, जिसे महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत मंदिर प्रशासन ने राज्य के 114 मंदिरों में वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू किया है। इसके अंतर्गत मंदिरों में फटी जीन्स, अंग प्रदर्शन करनेवाले कपड़े, फूहड़ कपड़े धारण करने पर प्रवेश बंदी होगी। मुंबई, ठाणे, रायगड, पालघर के 18 मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की गई है।
मंदिर में न पहने ये कपड़े
- अंग प्रदर्शन करनेवाले कपड़े
- असभ्यता और अशोभनीय कपड़े
- फटे जीन्स
- अंग प्रदर्शन करनेवाले कपड़े
महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की बैठक में निर्णय
राज्य के मंदिरों में वस्त्र संहिता निर्धारित करने के लिए महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की 7 जून को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में बैठक आयोजित की गई है। इसमें मुंबई, ठाणे, रायगढ़ जिले के मंदिरों के विश्वस्त सम्मिलित हुए थे। इसके अगले चरण की बैठक शीतला देवी मंदिर, माहिम में संपन्न हुई। जिसमें सनातन संस्था की धनश्री केळशिकर, जीएसबी टेंम्पल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋत्विक औरंगाबादकर, श्री शीतलादेवी एवं मुरलीधर देवस्थान के पालक न्यासी अनिल परूळकर, श्री भुलेश्वर एवं श्री बालाजी रामजी देवस्थान के पालक विश्वस्त दीपक वालावलकर, माहीम के श्री दत्त मंदिर के किशोर सारंगुल, माहीम के श्रीराम मंदिर के सचिव अभय तामोरे, श्री जब्रेश्वर महादेव मंदिर (बाणगंगा) के पंकज सोलंकी आदी उपस्थित थे।
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यहां पहले से लागू है ड्रेस कोड
- महाराष्ट्र सरकार के मंत्रालय में 2020 से ड्रेस कोड
- उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर
- वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर
- आंध्रप्रदेश का श्री तिरुपती बालाजी मंदिर
- केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
- कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर