मुंबई सत्र न्यायालय में चल रहे बेस्ट बेकरी प्रकरण की सुनवाई में निर्णय आ गया है। सत्र न्यायालय ने दो आरोपियों की निर्दोष मुक्ति कर दी है। यह दोनों आरोपी लंबे काल तक फरार चल रहे थे, जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तब अलग से सुनवाई प्रारंभ हुई। बेस्ट बेकरी प्रकरण गोधरा काण्ड की परिणति में हुआ था।
गुजरात में फरवरी 2002 में गोधरा में 59 कारसेवकों को जीवित ही जला दिया गया था। यह सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौटे थे और साबरमती एक्सप्रेस में सवार थे, जिनमें अबोध बालक, महिलाएं और पुरुष थे। इस अग्निकांड को इस्लामी धर्मांधों ने अंजाम दिया था। इस प्रकरण की परिणति थी गुजरात दंगे। बेस्ट बेकरी काण्ड भी इन्हीं दंगों की आग में झुलसा था। इस काण्ड में 14 लोगों की जान गई थी। इसमें हमलों के लिए 21 लोगों पर आरोप लगा था, जिसमें से 19 पहले ही निर्दोष मुक्त हो गए हैं।
ऐसे चला प्रकरण
बेस्ट बेकरी काण्ड में मारे गए 14 लोगों का प्रकरण पहले गुजरात सत्र न्यायालय में चला। इसमें कुल 21 आरोपी थे, जिसमें दो फरार थे। 19 आरोपियों की सुनवाई हुई और वर्ष 2003 में सभी को निर्दोष करार दिया गया। इस निर्णय को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय ने भी सत्र न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा। इसके बाद प्रकरण की एक पीड़िता जाहिराबीबी शेख ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका की। सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए इसे महाराष्ट्र में भेज दिया। बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में फिर से जांच का आदेश देते हुए इसकी सुनवाई का मुंबई के सत्र न्यायालय में करने का आदेश दिया था।
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बेस्ट बेकरी प्रकरण की सुनवाई मुंबई सत्र न्यायालय में वर्ष 2006 में शुरू हुई। इसमें नौ लोगों को हत्या समेत विभिन्न आरोपों में दोषी पाया गया था। दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद यह प्रकरण मुंबई उच्च न्यायालय में पहुंचा उच्च न्यायालय ने पांच को निर्दोष करार दिया और चार के आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी।
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