देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया है। 12 फरवरी को जारी इस नोटिस में न्यायालय ने ट्विटर और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म को फर्जी खबरों के जरिए लोगों में नफरत फैलानेवाली ट्विटर सामग्री और विज्ञापनों की जांच करने का निर्देश दिया है।
इंटरनेट मीडिया की मनमानी पर रोक लगाने की कवायद
इंटरनेट मीडिया की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार आईटी के नियमों में बदलाव करने जा रही है। केंद्र ने इस बारे में संसद में भी जानकारी दी है। सरकार का मानना है कि आईटी नियमों में संशोधन से इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय कानून के प्रति ज्यादा जवाबदेह होंगे। नये नियमों के लागू होने से डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारतीय आचार संहिता का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
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Supreme Court issues notice to Centre, Twitter and others on a plea seeking a mechanism "to check Twitter content and advertisements spreading hatred through fake news and instigative messages through bogus accounts" pic.twitter.com/GZcbO9pkN4
— ANI (@ANI) February 12, 2021
एक सप्ताह पहले हुई थी सुनवाई
बता दें कि एक सप्ताह पहले ही सुप्रीम कोर्ट में फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए इंटरनेट मीडिया को नियंत्रित कर कानून के दायरे में लाने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई थी। न्यायालय में ट्विटर और फेसबुक जैसे सशक्त सोशल मीडिया मंचों को नियंत्रित करने का कानून बनाने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। उसके बाद सरकार ने संसद में आईटी कानून में बदलाव लाने का ऐलान किया था
बड़ी संख्या में फेक अकाउंट्स होने का मामला उजागर
केंद्र सरकार की ओर से आइटी नियमों में बदलाव का ऐलान ऐसे समय में किया गया है, जब ट्विटर और केंद्र के बीच विवाद चल रहा है। केंद्र सरकार ने ट्विटर पर हैशटेग फार्मर्स जेनेसाइड से जुड़े सभी यूआरएल को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया है। लेकिन ट्विटर उन्हें ब्लॉक करने को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। इस बीच ये भी जानकारी मिली है कि ट्विटर ने करीब 97 फीसदी फेक और नफरत फैलाने वाले अकाउंट्स को ब्लॉक कर चुका है।