पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी तनाव और गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के बाद अब भारत दूसरे विवादास्पद मुद्दे को उठाने की तैयारी में जुट गया है। चीन के साथ कॉर्प्स कमांडर स्तर की अगली वार्ता में भारत देपसांग मुद्दे को उठा सकता है।
भारत के लिहाज से देपसांग इलाका बेहद अहम है। इस इलाके में चीन की सेना ने घुसपैठ की थी। उसकी ये हरकत दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारत की स्थिति के लिए चिंताजनक है। 16 हजार, 700 फुट की ऊंचाई पर स्थित दौलत बेग ओल्डी भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
काराकोरम दर्रे से 20 किलोमीटर की दूरी पर देपसांग
देपसांग का यह इलाका काराकोरम दर्रे से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह लद्दाख और शिनजियांग को अलग करता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि चीन की पहुंच के चलते एलएसी के पास बनी 255 किलोमीटर लंबी दार्बूक-श्योक-डीबीओ रोड पर भी खतरा पैदा हो गया है। इससे दौलत बेग ओल्डी से काराकोरम दर्रे का संपर्क खत्म करने का खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए भारत के लिए रणनीतिक और सामरिक तौर पर देपसांग का यह इलाका काफी महत्वपूर्ण है।
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भारत सरकार का रुख
बता दें कि 11 फरवरी को रक्षा मंत्री राजनथ सिंह ने राज्यसभा में कहा था कि फिलहाल हमारा ध्यान पैंगोंग लेक में दोनों देशों की सेनाओं की तैनाती को खत्म करने पर है। इसके अगले राउंड में हम देपसांग पर बात करेंगे। इसके आलावा 6 रुटों पर पेट्रोलिंग के मसले पर भी बात की जाएगी। इन रुटों पर दोनों देशों की सेनाओं की तैनाती बढी है।
रक्षा मंत्री ने बताए तीन सिद्धांत
- दोनों ही देशों को एलएसी का सम्मान करना होगा।
- दोनों देशों को यथास्थिति में एकतरफा बदलाव से बचना होगा।
- अब तक हुए सभी समझोतों का सम्मान करना होगा।