भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की तरफ से एक करोड़ रुपयये की धनराशि के साथ दिये जाने वाले गांधी शांति पुरस्कार के बाबत गीताप्रेस के ट्रस्टियों ने घोषणा की है कि वे गांधी शांति पुरस्कार का केवल सम्मान लेंगे, धनराशि नहीं। धनराशि न लेने का कारण स्पष्ट करते इसके ट्रस्टियों ने कहा है कि गीताप्रेस ट्रस्ट किसी भी तरह का अनुदान अथवा पुरस्कार की धनराशि नहीं लेता है।
स्थापना काल से ही तय है अनुदान या धनराशि का अस्वीकरण
गीताप्रेस प्रबंधन का कहना है कि गीता प्रेस की स्थापना के समय ही इसके संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयंदका ने तय कर दिया था कि इस प्रेस को संचालित करने के लिए किसी भी तरह का सहयोग या चंदा नहीं लिया जाएगा। इसलिए गीता प्रेस कोई अनुदान या पुरस्कार की धनराशि स्वीकार नहीं करता है। प्रेस गांधी शांति सम्मान की धनराशि नहीं लेगा लेकिन सम्मान सहर्ष स्वीकार करेगा। गौरतलब हो कि 18 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गीताप्रेस गोरखपुर को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का फैसला किया गया।
गांधीजी के आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि है यह पुरस्कार
गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों के लिए खुला है। पुरस्कार में एक करोड़ रुपए की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है।
‘गीताप्रेस’ ने प्रकाशित की हैं 41.7 करोड़ पुस्तकें
1923 में स्थापित ‘गीताप्रेस’ दुनिया र्के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इनमें 16.21 करोड़ श्रीमद् भगवद गीता शामिल हैं। संस्था ने राजस्व के लिए कभी भी प्रकाशनों में विज्ञापन नहीं छापा।
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