असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कांग्रेस पार्टी पर भारतीय सभ्यता और विरासत के साथ छेड़छाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री ने आज सोशल मीडिया ट्विटर पर एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि कर्नाटक में जीत के साथ, कांग्रेस ने अब खुले तौर पर भारत के सभ्यतागत मूल्यों और समृद्ध विरासत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, चाहे वह धर्मांतरण विरोधी कानून को निरस्त करने के रूप में हो या गीता प्रेस के खिलाफ आलोचना के रूप में। उन्होंने कहा कि भारत के लोग इस आक्रामकता का विरोध करेंगे और समान आक्रामकता के साथ हमारी सभ्यता के मूल्यों को फिर से स्थापित करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता जितेन्द्र सिंह ने कहा कि ‘गीता प्रेस’ भारत की संस्कृति से जुड़ी है, हिंदू मान्यताओं के साथ जुड़ी है। सस्ती दरों पर साहित्य का निर्माण करती है और इसके ऊपर आरोप वो लगा रहे हैं, जो कहते थे कि मुस्लिम लीग सेक्युलर थी।
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कवि एवं रामकथा वाचक डॉ कुमार विश्वास ने कहा है कि गीता प्रेस जैसी प्यारी संस्था के लिए विष-वमन उचित नहीं है। पूज्य हनुमान प्रसाद पोद्दार जी व अन्य महापुरुषों द्वारा उत्प्रेरित गीताप्रेस गोरखपुर जैसा महान प्रकाशन, दुनिया के हर सम्मान के योग्य है। करोड़ों-करोड़ आस्तिकों के परिवारों तक न्यूनतम मूल्य में सनातन-धर्म के पूज्य ग्रंथ उपलब्ध कराना महान पुण्य-कार्य है।
कांग्रेस की टिकट पर लखनऊ से चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद कृष्णन का कहना है कि गीता प्रेस का विरोध “हिंदू विरोधी” मानसिकता की पराकाष्ठा है। राजनैतिक पार्टी के “ज़िम्मेदार” पदों पे बैठे लोगों को इस तरह के धर्म” विरोधी बयान नहीं देने चाहिए, जिसके “नुक़सान” की भरपायी करने में “सदियाँ” गुज़र जायें।
बता दें कि कल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। उन्होंने कहा था कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर, गीता प्रेस को प्रदान किया गया है।
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