यह सच है कि जहां खनिज संपदा है, वहां नक्सलवाद ज्यादा हैं। छत्तीसगढ़ में एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। एक ही स्थान पर हैं क्योंकि ये एक दूसरे से संबंधित हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का अध्ययन करने वाली वकील रचना नायडू ने कहा कि मिशनरी आदिवासियों को बाइबल देते हैं, उनसे प्रार्थना कराते हैं और जब उन्हें होश आता है, तब तक वे उनके बिछाए जाल में फंस चुके होते हैं। वे मिशनरियों की हर बात मानने के लिए मजबूर हो जाते हैं। रचना नायडू सार्वभौम हिन्दू अधिवेशन के 5वें दिन उद्घाटन सत्र में ‘देश भर में नक्सली और मिशनरी गठबंधन’ विषय पर बोल रही थीं।
आदिवासी गोंड हिंदू हैं। वे शिव की पूजा करते हैं। लेकिन प्रचार यह किया जा रहा है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। बताया जा रहा है कि वे ब्रिटिश शासन से धर्मांतरित हैं। इस तरह हिंदुओं को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
बृंदा करात जैसे नेताओं का समर्थन
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक चर्च को तोड़ा गया। यह बड़ी खबर बन गई। हिंदू विरोधी ईको सिस्टम ने इस मुद्दे को खूब फैलाया। यह प्रचार किया गया कि ईसाई खतरे में हैं। तुरंत ही मार्क्सवादी पार्टी के नेता बृंदा करात वहां पहुंच गई और उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। इसके पीछे की हकीकत कुछ और ही है। वहां मिशनरी धर्म परिवर्तन करा रहे थे। वे आदिवासियों को यह कहकर मूर्ख बना रहे थे कि यदि तुम्हारे परिवार में कोई मरेगा तो हम उसे जीवित कर देंगे। जब यह सब हो रहा था, तब हिन्दू समाज ने उन आदिवासियों की ओर नहीं देखा। रचना नायडू ने कहा कि ऐसी स्थिति में आदिवासियों को सहारा देने के लिए हिंदू समाज को आगे आना चाहिए था।
नक्सलियों ने जंगल को पहुंचाया नुकसान
नक्सलियों ने इस इलाके के जंगल को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। वे तेंदूपत्ता की खेती के जरिए हफ्ता जमा कर रहे हैं। नक्सली जब आदेश देते हैं तो आदिवासियों को अपना बेटा उन्हें सौंपना होता है। उसके बाद वे लड़के को बंदूक थमा देते हैं। बस्तर में नक्सलियों का कोई टॉप कैडर नहीं है। रचना नायडू ने कहा कि असली नक्सली दूसरे हैं, वास्तव में जो पकड़े जा रहे हैं, वे आदिवासी हैं और वे सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं।
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नक्सलियों का इंटरनेशनल कनेक्शन
इन नक्सलियों ने रूस के खिलाफ जाकर यूक्रेन का समर्थन किया। इन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया, शाहीन बाग में मुस्लिम आंदोलन का समर्थन किया। पीएफआई का समर्थन किया। कोई भी सरकारी योजना ये इस क्षेत्र में लागू नहीं होने देते। वे विकास नहीं होने देते। अरुंधति रॉय नक्सलियों का समर्थन करती हैं। ऐसे में नक्सलियों को हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। इस स्थिति में इस जगह पर जन जागरूकता फैलानी चाहिए। हमें आदिवासियों के साथ खड़े रहना चाहिए।