मध्य रेलवे (Central Railway) का पर्यावरण (Environment) और हाउस-कीपिंग मैनेजमेंट विभाग (House-keeping Management Department) विभिन्न उपायों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार काम कर रहा है। ये उपाय जल संरक्षण के संबंध में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal) और रेलवे बोर्ड (Railway Board) द्वारा जारी मानदंडों के अनुसार किए जाते हैं।
मध्य रेलवे के पास सीवेज और अपशिष्टों के उपचार के लिए 32 से अधिक जल उपचार संयंत्र हैं, जिसके माध्यम से प्रतिदिन एक करोड़ लीटर से अधिक पानी का उपचार किया जाता है, जो पर्यावरण में प्रदूषित पानी के निर्वहन को खत्म करने के अलावा बढ़ते जल संकट के स्थायी समाधान के रूप में आता है। इस उपचारित पानी का उपयोग तब सफाई के उद्देश्यों जैसे पटरियों को धोने, स्टेशन के फर्श को पोंछने आदि के लिए किया जाता है, न कि पीने या खाना पकाने जैसे पीने योग्य उद्देश्यों के लिए।
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10 नए जल उपचार संयंत्र चालू किए गए
• लोकमान्य तिलक टर्मिनस में 120 केएलडी क्षमता के 2 जल पुनर्चक्रण संयंत्र।
• अहमदनगर में 50 केएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।
• 200 केएलडी क्षमता वाला नासिक रोड एसटीपी।
• अकोला एसटीपी 500 केएलडी क्षमता।
• खंडवा एसटीपी 500 केएलडी क्षमता।
• कोपरगांव एसटीपी 15 केएलडी क्षमता।
• सोलापुर एसटीपी 15 केएलडी क्षमता।
• अजनी, नागपुर एसटीपी 40 केएलडी क्षमता के साथ।
• 15 केएलडी क्षमता वाला साईनगर शिर्डी एसटीपी।
जल संरक्षण में इन व्यापक उपायों के कारण मध्य रेलवे ने ताजे पानी की खपत में 6.3% की कमी दर्ज की है और पूरे जोन में प्रमुख खपत केंद्रों पर जल लेखापरीक्षा और बचत अनुमानों के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण में तत्पर है।
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