कृषि कानूनों पर भारत की मोदी सरकार के लिए एक और अच्छी खबर है। अमेरिका के बाद ब्रिटिश संसद ने भी केंद्र सरकार को कृषि कानूनों पर समर्थन दिया है। ब्रिटिश संसद ने इसे भारत का घरेलू मामला बताया है। एक वरिष्ठ सांसद का यह बयान दर्शाता है कि किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश सरकार क्या रुख है।
भारत का घरेलू मामला
12 फरवरी को लेबर पार्टी के सांसदों ने इस मुद्दे पर बहस की मांग की थी। इसके जवाब में सत्तापक्ष से जुड़े सांसद जैकब रीस मोग ने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। वह एक ऐसा देश है, जिसके साथ हमारे सबसे पुराने और मजबूत संबंध रहे हैं। किसानों के आंदोलन पर ब्रिटिश सरकार बारीकी से नजर रख रही है। कृषि सुधार भारत का आंतरिक और घरेलू मामला है।
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अमेरिका ने भी किया था समर्थन
बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने भी नए कानूनों को लेकर भारत सरकार के रुख का समर्थन किया था। अमेरिका ने कहा था कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है, जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी निवेश क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के इस बयान से संकेत मिला था कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है। उसका मानना है कि इससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी।
कुछ अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां कर रही हैं दुष्प्रचार
किसान आंदोलन को लेकर कुछ अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों की तरफ से दुष्प्रचार करने की कोशश की जा रही है। इस हालत में अमेरिका के बाद ब्रिटिश संसद का मिला समर्थन मोदी सरकार के लिए राहत की बात है।