विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक हिंदू परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने और धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के संकल्प के साथ रविवार को संपन्न हो गई। विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बैठक में लिये गए विभिन्न निर्णयों की रायपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हिंदू परिवार व्यवस्था को विखंडित करने के लिए देश विरोधी विभिन्न शक्तियां षड्यंत्र रच रही हैं। बैठक में हिंदू परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने और धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के संकल्प के साथ बैठक में प्रस्ताव पास किया गया।
निकलेंगी शौर्य जागरण यात्राएं
आलोक कुमार ने बताया कि हिंदू परिवार व्यवस्था पर हो रहे प्रहारों तथा बढ़ते लव जिहाद एवं धर्मांतरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए एक व्यापक कार्य योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत बजरंग दल आगामी 30 सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच देशव्यापी शौर्य जागरण यात्राएं निकालेगा। इन यात्राओं के माध्यम से हिंदुओं को संगठित कर समस्याओं से निपटने में सक्षम बनाया जाएगा। दीपावली के आस-पास पूज्य संतों के देशव्यापी प्रवासों के मध्यम से जन-जन तक पहुंच बढ़ाकर व्यक्तियों को परिवारों से और परिवारों को सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन मूल्यों से पुन: जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। बजरंग दल की शौर्य जागरण यात्राएं देशभर में ब्लॉक स्तर पर निकालकर युवा पीढ़ी को विशेष रूप से जोड़ा जायेगा। विहिप अपने बाल संस्कार केंद्रों के विस्तार के साथ गीता/रामायण आदि की परीक्षाएं भी आयोजित करेगी। बैठक में विदेशों से पधारे प्रतिनिधियों समेत देशभर से 44 प्रांतों के 237 पदाधिकारी मौजूद रहे।
मनोरंजन जगत और वामपंथी ने किये आघात
हिंदू परिवार व्यवस्था पर बैठक में पारित प्रस्ताव की प्रति मीडिया को जारी करते हुए विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि गत कुछ दशकों में हमारी परिवार व्यवस्था पर मनोरंजन जगत, वामपंथी शिक्षाविदों तथा भौतिकतावादी और भोगवादी मानसिकता ने गहरे आघात किए हैं। इनके कारण व्यक्ति को परिवार, कुटुंब, समाज एवं राष्ट्र से जोड़ते हुए विश्व के कल्याण की कामना तक ले जाने वाली यह अनुपम व्यवस्था विखंडन की ओर बढ़ रही है।
परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की पहल
विहिप ने सरकारों से अनुरोध किया है कि शिक्षा नीति बनाने से लेकर परिवार संबंधी कानूनों का निर्माण करते समय इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अपना रचनात्मक योगदान दें। प्रस्ताव में कहा गया है कि बच्चों में संस्कारों का अभाव, युवा पीढ़ी की स्वच्छंदता और वृद्धों की दुरावस्था के मूल में परिवार व्यवस्था का क्षरण है। न्यायपालिका से अपेक्षा की गयी है कि वह अपने निर्णयों में इसका ध्यान रखे। हिंदू परिवारों से भी यह कहा गया है कि एकल परिवारों में रहने को बाध्य व्यक्तियों को भी नियमित अंतराल पर अपने मूल परिवार से संपर्क, पूर्वजों के स्थानों से जुड़ाव, पारिवारिक सहभोज, कुटुंब एकत्रीकरण, सामूहिक भजन, दान, सेवा कार्य, उत्सवों, तीर्थाटन, मातृभाषा का प्रयोग, स्वदेशी का आग्रह इत्यादि पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
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