समान नागरिक संहिता की राह सरल या कठिन? कैसा है लोकसभा और राज्यसभा में सरकार का संख्याबल?

समान नागरिक संहिता को संसद के वर्षाकालीन सत्र में पटल पर रखे जाने की तैयारियां आरंभ हो गई हैं। इसके पास होने के बाद देश के सभी पंथ, धर्म और मान्यताओं के लोगों के लिए एक कानून होगा। पर्सनल लॉ जैसे कानून समाप्त हो जाएंगे।

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राजनीतिक दल के नेता

समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक बात स्पष्ट है कि, केंद्र सरकार शीत सत्र (Monsoon Session) में इसे लाने की तैयारी में है। इसको लेकर 3 जुलाई को दो महत्वपूर्ण बैठकें दिल्ली में होनी हैं। इस सब में सबसे बड़ी भूमिका लोकसभा (Loksbha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) का संख्याबल निभाएगा।

दिल्ली में केंद्र सरकार, विधि मंत्रालय की स्थाई समिति, प्रशासन और राजनीतिक दलों की बैठकें शुरू हो गई हैं। इसमें 3 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंत्रिमंडल के सदस्यों की बैठक बुलाई है, इसके साथ ही विधि मंत्रालय की स्थाई समिति की भी बैठक होनी है, इस समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी हैं। यह सभी बैठकें समान नागरिक संहिता को कानूनी रूप देने की तैयारी के लिए की जा रही हैं। इसका महत्व बहुत बड़ा है, भाजपा के वचन नामा में भी समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की बात कही गई थी। इसके अलावा कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाना, राम मंदिर निर्माण जैसे कार्य हो गए हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी नित नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) का संख्याबल इस वचन नामा की पूर्ति का केंद्र है।

थोड़ा है थोड़े की अवश्यकता है
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है। उसके अपने सांसदों की संख्या ही 300 से अधिक है, जबकि, एनडीए के घटक दलों की कुल संख्या 350 के लगभग है। ऐसे में लोकसभा में समान नागरिक संहिता को पास कराने में भारतीय जनता पार्टी को कोई दिक्कत नहीं होगी।

समान नागरिक संहिता को पास कराने की मुख्य मेहनत राज्यसभा में लगनी है। क्योंकि वहां भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत का संख्याबल नहीं है। राज्यसभा में कुल सदस्यों की वर्तमान संख्या 237 है। जिसमें से 119 सदस्यों का समर्थन समान नागरिक संहिता या किसी अन्य विधेयक को पास कराने के लिए लगेगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) का संख्याबल 92 सदस्यों का है, जिसमें से एक सदस्य का निधन होने के कारण संख्याबल 91 पर आ गया है। एनडीए का कुल संख्याबल 108 का है। अर्थात समान नागरिक संहिता को कानूनी रूप देने के लिए भाजपा को 11 सदस्यों की आवश्यकता पड़ेगी।

विपक्षी दलों का समर्थन
विपक्षी दलों के खेमे में से शिवसेना (यूबीटी) और आम आदमी पार्टी ने समान नागरिक संहिता का समर्थन करने की घोषणा की है। इन दलों की स्थिति देखें तो, शिवसेना (यूबीटी) के 3 सदस्य हैं और आम आदमी पार्टी के 10 सदस्य हैं। ऐसी स्थिति में राज्यसभा में समान नागरिक संहिता के पास होने का रास्ता साफ हो जाता है।

राज्यसभा में संख्याबल

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भूमिकाएं स्पष्ट नहीं
आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस, उड़ीसा के बीजू जनता दल, तेलंगाना के बीआरएस जैसे दलों की स्पष्ट नहीं है। हालांकि, इनमें से कुछ दलों ने केंद्र में कई बार विधेयकों को समर्थन करके कानूनी रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक का भारतीय जनता पार्टी से संबंध सदा से ही अच्छा रहा है।

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