“सेवा और वसुधैव कुटुम्बकम्” से होगा जीवन सार्थक: सीएम शिवराज

सी-20 सेवा समिट में देश-विदेश से आए समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मन का और आत्मा का सुख प्राप्त करना चाहता है। यदि कोई नागरिक आपराधिक प्रवृत्ति का है तो भी उसमें दया का भाव विद्यमान होता है। आत्मा के सुख के लिए व्यक्ति सेवा कार्य में संलग्न हो जाता है।

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भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल में जी-20 के सिविल सेवा समिट के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय समाज और भारत के मूल में सेवा का भाव समाहित है। एक ही चेतना सभी प्राणियों में व्याप्त है। यह भारतीय संस्कृति का मूल विचार है। उन्होंने कार्यक्रम में अनेक समाजसेवियों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम, मनुष्यों के साथ ही पशु-पक्षियों और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी सजग रहते हैं। जन्म से ही सेवा की घुट्टी पिलाई जाती है। जियो और जीने दो का मंत्र भारत ने ही दिया है। हमारे संतों ने हजारों साल पहले कहा कि सभी प्राणी सुखी हों, इसके लिए हम मन में बंधुत्व का भाव रखें। यह भाव जीवन को सार्थक बनाता है।

दुनिया की सभी समस्याओं हल है भारतीय दृष्टिकोण
उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण, अपने आप में दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान भी है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी “वसुधैव कुटुम्बकम्” के भाव को सशक्त बना रहे हैं। पेड़ लगाने का कार्य आचरण में हो, भाषण में नहीं, तभी हमारी भूमिका सार्थक होगी। मुझे संतोष है कि मैं ढाई वर्ष से निरंतर प्रतिदिन पौधा लगा रहा हूं। दीन-दुखियों और दरिद्रों की सेवा से भी जीवन सार्थक होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन सेवा के भाव को एक नया अर्थ देगा।

आत्मसुख के लिए सेवा
मुख्यमंत्री चौहान ने सी-20 सेवा समिट में देश-विदेश से आए समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मन का और आत्मा का सुख प्राप्त करना चाहता है। यदि कोई नागरिक आपराधिक प्रवृत्ति का है तो भी उसमें दया का भाव विद्यमान होता है। आत्मा के सुख के लिए व्यक्ति सेवा कार्य में संलग्न हो जाता है। मन और आत्मा के सुख को प्राप्त करने का भाव परोपकार और सेवा कार्य की प्रेरणा प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री चौहान मूलतः सेवा योगीः डॉ सहस्रबुद्धे
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान मूलतः सेवा योगी हैं। उन्होंने दो दशक से प्रदेश की सेवा करते हुए जनता के साथ अपनत्व का रिश्ता बनाया है। जनता को अपने साथ जोड़ते हैं इसलिए प्रदेश के मामा कहलाते हैं। सेवा करना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। जी-20 में सेवा का विषय शामिल किया जाना अपने आप में गर्व की बात है। भारत में हुए सेवा सम्मेलन में “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश पूरे विश्व को प्रेरणा देगा।

सेवा को समर्पित दो पुस्तक का विमोचन
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में दो पुस्तक- “सेवा, सुशासन और सहभागिता के 2 दशक” और “सेवा-सेंस ऑफ़ सर्विस : कम्पेंडियम ऑफ़ प्रेक्टिसेज अक्रॉस जी-20 कन्ट्रीज” का विमोचन किया।

उत्कृष्ट कार्य करने वाले सेवा योगी हुए सम्मानित
मुख्यमंत्री ने सेवा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 सेवा योगियों को शाल और स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया। इन सेवा योगियों में डॉ अंबर पारे, जीशान निज़, प्रमांशु शुक्ला, मोहन सोनी, सैयद शाहिद मीर, मनीष भावसार, सुनीता भुविस्टाले, शिवराज ख़ुशवा, पद्मश्री उमाशंकर पांडे, पूनम चंद गुप्ता, पराग दीवान, जयराम मीना, रीतेश क्षोत्रिय, विनोद तिवारी, डॉ. सपन कुमार (पत्रलेख) और दीप माला पांडे शामिल हैं।

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