मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए देश भर में चाइल्ड लाइन, जानिये क्या हैं सुविधाएं

पहले बच्चों को गोद लेने का कानून पेचीदा था। बच्चा गोद लेना हो तो अभिभावक को कोर्ट में पेश होने के लिए मजबूर किया जाता था। वहां से ऑर्डर लेना होता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार जनता, कार्यकर्ता, प्रशासक से संवाद करने के बाद यह ध्यान में आया कि अभिभावक यह कहने लगे कि हम कोर्ट क्यों जाएं? जहां पर चोर-उचक्के, दुष्कर्म और कई घटनाओं के निर्णय होते हैं।

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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि चाइल्ड लाइन अब देशभर में प्रदेश की सरकारों के सुपुर्द किया जाएगा। अगर बच्चा मुसीबत में है और मदद की गुहार लगा रहा है, तो उसका फोन एनजीओ के पास जाता है। ऐसी परिस्थिति में यह गहमागहमी होती है कि एफआईआर कहां हो। नई व्यवस्था से बच्चे या बच्ची का फोन कॉल सीधा स्थानीय प्रशासन के पास पहुंचेगा। उसे जल्द मदद मिलेगी।

केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी रविवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित ‘वत्सल भारत कार्यक्रम’ को संबोधित कर रही थीं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर केंद्रित सात क्षेत्रीय संगोष्ठियों का आयोजन देश में अलग-अलग जगह किया जा रहा है। भोपाल में रविवार को मध्य भारत क्षेत्र की संगोष्ठी हो रही है, जिसका शुभारम्भ केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने किया।

स्मृति ईरानी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पहले बच्चों को गोद लेने का कानून पेचीदा था। बच्चा गोद लेना हो तो अभिभावक को कोर्ट में पेश होने के लिए मजबूर किया जाता था। वहां से ऑर्डर लेना होता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार जनता, कार्यकर्ता, प्रशासक से संवाद करने के बाद यह ध्यान में आया कि अभिभावक यह कहने लगे कि हम कोर्ट क्यों जाएं? जहां पर चोर-उचक्के, दुष्कर्म और कई घटनाओं के निर्णय होते हैं। बच्चे को गोद लेना तो पुण्य का काम है। अगर आप सरकार में हमारी सुविधा बढ़ाना चाहते हैं, तो आप यह अधिकार जिला प्रशासन को दे दें।

उन्होंने कहा कि जैसे ही मोदी सरकार ने कानून में तब्दीली कर जिला प्रशासन को दायित्व दिया, तब से लेकर एक साल में 2250 से ज्यादा बच्चे देशभर में गोद लिए जा चुके हैं। कानून में बदलाव से पहले देशभर में बच्चों को गोद लेने के 900 से प्रकरण विभिन्न अदालतों में लंबित थे। उन्होंने दुष्कर्म के मामलों को लेकर कहा कि 18 साल की बेटियों से दुष्कर्म की वारदातें होती हैं, तब पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को अपनी जेब से उसके खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम करना पड़ता है। हमने मंत्रालय में निर्णय लिया है कि 74 करोड़ रुपये देशभर की ऐसी बेटियों को समर्पित करेंगे। महीने के चार हजार रुपये देंगे। 18 साल के बाद भी 23 साल की उम्र तक ऐसी बेटियों के संरक्षण का बीड़ा हमने उठाया है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देशभर में हर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का दफ्तर बनाने का जिम्मा सरकार ले रही है। प्रस्ताव भेजिए, हम त्वरित रूप से समाधान देंगे। अब स्कीम और प्रपोजल बनाने से पहले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से पूछा जाएगा। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण के बजट में 230 फीसदी की वृद्धि हुई है। आज से 13-14 साल पहले देशभर में 8 से 9 हजार बच्चों को संरक्षित किया जाता था, अब 65 हजार बच्चों का संरक्षण हो रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में मध्यप्रदेश सरकार की ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ की भी तारीफ की और कहा कि 35 लाख बेटियां इसमें शामिल हैं, ये मुझे आनंदित करता है।

आजादी के बाद 2014 से बच्चों-महिलाओं के लिए काम हुए
कार्यक्रम में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि आजादी के बाद 2014 से बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष कार्य किए गए। पॉक्सो कानून बनाकर सरकार ने इस क्षेत्र में बड़ा काम किया है। किशोर न्याय अधिनियम में बदलाव किए गए। कोविड केयर योजना बनाकर लाभ दिया गया। पॉक्सो में मृत्युदंड देने का प्रावधान किया गया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बच्चों और महिलाओं को सभी योजनाओं का लाभ मिला। भारत का नाम उस काली सूची से हटाया गया, जिनमें बच्चे हथियारबंद लोगों की सूची में थे।

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