जानिये… समुद्र के खारे पानी के लिए बीएमसी ने कैसे बनाया मीठा बजट!

समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने की महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी के प्रोजक्ट को लेकर विपक्ष काफी आक्रामक है।

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समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने की दिशा में उद्धव सरकार और मुंबई महानगरपालिका तेजी से कार्यरत है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का काम इजरायल की आईडीई वॉटर टेक्नोलॉजी कंपनी को सौेंपा गया है। लेकिन सरकार और बीएमसी की सत्ताधारी पार्टी को इस प्रोजेक्ट पर विपक्षी पार्टी की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नगरसेवक हरीश भांदिर्गे ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार के साथ ही बीएमसी में सत्ताधारी पार्टी शिवसेना की कड़ी आलोचना की है।

हरीश भांदिर्गे ने इस महत्वाकांक्षी योजना को सत्ताधारी पार्टी शिवसेना को घेरते हुए कहा है कि समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए 3.50 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की मंजूरी देकर मुंबई के टैक्स चुकानेवाले लोगों के साथ विश्वासघात किया है। इसके साथ ही उन्होंने इस योजना पर तेजी से किए जा रहे काम पर भी आश्चर्च व्यक्त किया है। इसके लिए भाजपा नगरसेवक ने शिवसेना के साथ ही बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल पर भी निशाना साधा है।

राजस्व कम, बजट में प्रावधान ज्यादा
हरीश भांदिर्गे ने 2020-21 के बीएमसी के बजट का पोस्टमार्टम करते हुए कहा बीएमसी के राजस्व में पिछले साल की अपेक्षा कमी आई है। इसके बावजूद इस बार 5.50 हजार करोड़ रुपए ज्यादा का बजट पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजान को पूरा करने की जिम्मेदारी इजरायल की कंपनी आईडीई वॉटर टेक्नोलॉजी को दिया गया है। इसे लेकर सरकार और मुंबई महानगरपालिका काफी उतावली दिख रही है। वर्ना समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए सह्याद्रि पर बैठक करने की क्या जरुरत है?

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काम में तेजी पर सवाल
आयुक्त द्वारा  बजट में इस परियोजना के प्रावधान किए जाने के मात्र एक सप्ताह बाद ही इसके लिए सलाहकार नियुक्त कर दिया गया और साथ ही इसका ठेका भी इजरायली कंपनी को दे दिया गया। बजट में इसका प्रावधान किए जाने के बाद इस पर युद्ध स्तर पर काम किया गया और स्थाई समिति के साथ ही इस प्रस्ताव को बीएमसी सभागृह में भी मंजूरी मिल गई। भाजपा नगरसेवक ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में सरकार और बीएमसी के काम में इतनी तेजी कैसे आ गई, यह भी जांच का विषय है।

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सत्ताधारी पार्टी को दी चुनौती
भाजपा का कहना है कि अगर बीएमसी राजस्व की रकम कम दिखाती तो मुख्यमंत्री को इस परियोना में आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं होती। केवल और केवल समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए 3.50 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के लिए बजट का आंकड़ा बढ़ाना जरुरी समझा गया। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि इस मामले में सत्ताधारी पार्टी को जो कहना है, वो सभागृह में कहे।

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आयुक्त की हिम्मत और अनुभव का हो सम्मान
हरीश भांदिर्गे ने कहा कि इस मामले में तो आयुक्त इकबाल सिंह चहल का सम्मान छत्रपति शिवाजी महाराज मैदान मे करना चाहिए, जिन्होंने पिछले वर्ष से कम राजस्व होने के बावजूद 5.500 करोड़ अधिक का बजट पेश किया। चहल ने यह काम करने की हिम्मत दिखाई। ये भी ध्यान देनेवाली बात है कि नये आयुक्त को पदभार संभाले हुए 9 महीने ही हुए हैं। इस बीच उन्होंने अपने बेशकीमती अनुभव का उपयोग करते हुए शानदार बजट पेश किया।

बीएमसी ऐसे बचा सकती है करोड़ों रुपए
सलाह के लिए बीएमसी करोड़ों रुपए खर्च करती है। इससे बेहतर बीएमसी मुख्यालय में एक सलाहकार कक्ष की स्थापना की जा सकती है और इस काम में बीएमसी के सेवामुक्त योग्य और अनुभवी अधिकारियों की मदद ली जा सकती है। इससे बीएमसी को सभी परियोजनाओं पर 3 से 5 फीसदी की बचत हो सकती है। इस रकम का उपयोग मुंबई के विकास के लिए किया जा सकता है।

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