तहलका पत्रिका और तरुण तेजपाल को भारी पड़ा स्टिंग ऑपरेशन, अब चुकाने होंगे करोड़ों

दिल्ली उच्च न्यायालय ने तहलका, तरुण तेजपाल और दो अन्य को सेवानिवृत्त मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को 2 करोड़ का भुगतान करने का आदेश दिया।

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दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार, 21 जुलाई को तहलका पत्रिका (Tehelka Magazine), तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) और दो अन्य को मानहानि मामले (Defamation Cases) में सेवानिवृत्त भारतीय सेना (Retired Indian Army) अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया (Major General MS Ahluwalia) को 2 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। करीब 22 साल बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है।

साल 2002 में तहलका मैगजीन ने ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ नाम से एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। बदले में, उन्होंने सेवानिवृत्त भारतीय सेना अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया पर रक्षा सौदों में रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद मेजर अहलूवालिया ने इस खबर को प्रसारित करने के लिए तहलका पत्रिका, उसके पत्रकार तरुण तेजपाल और दो अन्य लोगों के साथ-साथ ज़ी टीवी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। करीब 22 साल बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस पर फैसला सुनाया है।

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न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि अहलूवालिया की प्रतिष्ठा को इस तरह से चित्रित किया गया है कि उन्हें न केवल लोगों की नजरों में अपने कैडर की गिरावट का सामना करना पड़ा है, बल्कि जबरदस्ती के गंभीर आरोप से भी उन्हें बदनाम किया गया है, जिससे कोई भी प्रतिनिधि उबर नहीं पाया है।

सेवानिवृत्त मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया उस समय भारतीय सेना में आयुध विभाग के महानिदेशक थे। प्रोपेगेंडा पोर्टल (तहलका) द्वारा स्टिंग ऑपरेशन प्रकाशित करने के बाद, सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) की धारा 9 और 10 के तहत मामला दर्ज किया।

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