लोकमान्य तिलक के संघर्ष और समर्पण को पीएम ने दी श्रद्धांजलि

पूर्ण स्वराज की मांग से विदेशी हुकूमत की नींव हिलाने वाले देश के अमर सेनानी लोकमान्य तिलक को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन। आजादी के आंदोलन में उनके साहस, संघर्ष और समर्पण की कहानी देशवासियों को सदा प्रेरित करती रहेगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकमान्य तिलक को उनकी जन्म-जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में उनके साहस, संघर्ष और समर्पण की कहानी देशवासियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;

“पूर्ण स्वराज की मांग से विदेशी हुकूमत की नींव हिलाने वाले देश के अमर सेनानी लोकमान्य तिलक को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन। आजादी के आंदोलन में उनके साहस, संघर्ष और समर्पण की कहानी देशवासियों को सदा प्रेरित करती रहेगी।”

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और संसद सदस्यों ने भी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को पुष्पांजलि अर्पित की।

बहुमुखी प्रतिभाशाली बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक साहसी स्वतन्त्रता सेनानी थे। एक तरफ अंग्रेज उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे, तो दूसरी तरफ भारतीय जनता ने उनके नाम के साथ “लोकमान्य” का सम्मानजनक संबोधन दिया था। लोकमान्य तिलक स्वराज के मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे। उनका दिया गया नारा “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा” ने देश की आजादी की लड़ाई में एक नया जोश भरने का काम किया था।

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