150 फीट गहरे बोरवेल में गिरे बच्चे को एनडीआरएफ ने सुरक्षित निकाला, जानिये क्यों नहीं रुकते ऐसे हादसे

शिवम दोस्त के साथ खेल रहा था। इस दौरान वह बोरवेल में गिर गया। साथ खेल रहे बच्चे ने इसकी जानकारी उसके माता-पिता को दी। धीरे-धीरे ग्रामीणों का हुजूम मौके पर पहुंच गया। पटना से पहुंची एनडीआरएफ की टीम बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला।

207

बिहार के नालंदा जिले में 150 फिट गहरे बोरवेल में गिरे बच्चें को एनडीआरएफ की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाल लिया है। जानकारी के अनुसार रविवार को चार साल का बच्चा खेलते समय बोरवेल में गिर गया। बच्चे की नाम शिवम कुमार बताया गया, जो डोमन मांझी का पुत्र है। हालांकि, वह 60 फीट गहराई पर फंसा था। बोरवेल से उसके रोने की आवाज आ रही थी। स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ था। बच्चे को पाइप से ऑक्सीजन दी जा रही थी। साथ ही बोरवेल में कैमरे से बच्चे की निगरानी भी की जा रही थी।

अधिकारियों ने बताया कि 6-7 जेसीबी की मदद से बोरवेल के बगल में खुदाई की गई। एनडीआरएफ की टीम बच्चे को निकालने के लिए पटना से पहुंची। मौके पर हर कोई बच्चे की सलामती की दुआ करता नजर आया।

क्यों होते हैं ऐसे हादसे ?
नगर पंचायत नालंदा के उपाध्यक्ष प्रतिनिधि नलिन मौर्य ने बताया कि यह बोरवेल यहां के किसानों ने बोरिंग के लिए बनाया था लेकिन यहां बोरिंग नहीं लग पाया तो वो दूसरे जगह बोरिंग लगाने में जुट गए और इस बोरवेल को बंद करना भूल गए। इसी कारण आज यह बड़ा हादसा हुआ है।

हर साल देश के किसी ना किसी कोने में ऐसी घटनाएं हो ही जाती हैं। लेकिन इससे सबक लेने का कोई उदाहरण अब तक नहीं दिख रहा है। कभी यह सोच कर तो देखिये कि जब कोई बच्चा ऐसे हादसे का शिकार होता है, तब उस फैमिली पर क्या गुजरती होगी। दिल कांप जाता है, ऐसी कल्पना से भी। फिर शासन, प्रशासन और आम जन क्यों नहीं इसको लेकर अतिरिक्त जागरुकता अपनाते। बोरवेल और ट्यूबवैल के गड्ढे खुले छोड़े जाने की गैर जिम्मेदारी आखिर कब बंद होगी। क्यों नहीं इसके खिलाफ एक लगातार आंदोलन छेड़ा नहीं जाता?

कोर्ट भी दे चुका है निर्देश
 बोरवेल के गड्ढे भरने को लेकर कोर्ट भी सख्त निर्देश दे चुका है। एक दो मामलों में कोर्ट द्वारा बोरवेल कराने वाले को सजा देने के मामले भी प्रकाश में आये हैं। लेकिन ये मामले बहुत कम हैं। जिससे बहुत से लोगों को इस बारे में सजा भी मिलने के प्रावधानों की जानकारी नहीं है। यदि ऐसे मामलों गुनाहगारों को बड़े पैमाने पर सजा दी जाए, तो सम्भव है कि लोग ऐसी लापरवारी करने से बाज आ जाएं। क्योंकि ऐसे हादसों को रोकने का एकमात्र उपाय सजा का डर दिखाना ही है। जब तक लोगों को मन में इसको डर नहीं बैठेगा, तब वो इस खतरे को गंभीरता से नहीं लेंगे।

यह भी पढ़ें – यमुना नदी फिर रौद्र रूप में, निचले क्षेत्र को खाली करने की मुनादी

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.