राजस्थान : भाजपा सदन से सड़क तक लेकर जाएगी ‘लाल डायरी’ का मामला

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कांग्रेस सरकार के सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंन्द्र सिंह गुढा द्वारा प्रदेश में बढ़ते महिला अत्याचार की घटनाओं पर अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में बोलने पर बर्खास्तगी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लाल डायरी में भ्रष्टाचार के सबूत होने का दावा करने को लेकर सोमवार को नेता प्रतिपक्ष राजेंन्द्र राठौड़ और उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया।

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि जब सदन की कार्यवाही चलती है, उस दौरान सदन के बाहर कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय होता है, संसदीय परंपराओं के अनुसार उसके बारे में सदन के नेताओं को पूर्व सूचना देना और अवगत कराना आवश्यक होता है। मणिपुर की घटना में देश के प्रधानमंत्री मोदी ने संसद से बाहर प्रेस को वक्तव्य दिया और उसके बाद कांग्रेस के लोगों ने संसद को ठप्प कर दिया। राजस्थान विधानसभा में आज उसके विपरीत आचरण देखने को मिला। राजेन्द्र गुढ़ा सहित बसपा के सदस्यों का कांग्रेस में विलय हुआ, जिनकी दल बदल याचिका आज भी उच्च न्यायालय में लंबित है।

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत तीन महीने पहले जिनके पुत्र के जन्म दिवस पर उनके गांव में जाकर कहते हैं कि अगर राजेंद्र सिंह गुढा नहीं होते तो मेरी सरकार नहीं होती, मैं आपका अहसान भूल नहीं सकता। उसी व्यक्ति ने जब महिला उत्पीड़न पर सरकार को आईना दिखाया तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। राठौड़ ने कहा कि सदन में मणिपुर की घटना का जिक्र हो रहा था, उस समय हम सरकार से मांग कर रहे थे एनसीआरबी के आंकडों के अनुसार दुष्कर्म मामलों में राजस्थान पहले पायदान पर क्यों है? सरकार के खुद के पुलिस मासिक प्रतिवेदन में दुष्कर्म के आंकड़े क्यों बढ़ रहे हैं? सरकार खाजूवाला पर बहस करे, रोज प्रदेश में दुष्कर्म और महिला उत्पीडन की घटनाएं हो रही हैं। हमने दौसा की घटना पर बहस करने को बोला, इस पर सरकार के राज्य मंत्री गुढा ने खड़े होकर कहा राजस्थान में महिलाओं की हालत ठीक नहीं और महिलाओं की इज्जत नीलाम हो रही है, इस पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

नेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने कहा कि गुढा के बयान के बाद उन्हें बर्खास्त करना और यह घटनाक्रम उस वक्त हुआ जब सदन सत्र चल रहा है। महिलाओं की अस्मत लुट रही है। ऐसे गंभीर मामले पर कोई मंत्री बोलता है और उसे बर्खास्त किया जाता है। राठौड़ ने तत्कालीन हरिदेव जोशी सरकार में मंत्रिमंडल सदस्य रामपाल उपाध्याय का हवाला देते हुए कहा कि रामपाल उपाध्याय पर आरोपों के चलते सदन में उन से त्यागपत्र लिया गया था। उस दौरान भैरों सिंह शेखावत ने सदन में इस मुद्दे को उठाया था। तब सदन में पांच घंटे तक इस मुद्दे पर बहस चली थी। राठौड़ ने कहा कि आज राजस्थान की विधानसभा के अध्यक्ष को लिखकर अवगत कराया कि हमारी संसदीय परंपरा रही है, राजेन्द्र गुढ़ा की बर्खास्तगी पर बहस होनी चाहिए। लेकिन अफसोस है कि इसकी अनुमति नहीं मिली।

लाल डायरी की छीना झपटी से कलंकित हुआ लोकतंत्र का मंदिर
कल राजेन्द्र गुढ़ा ने एक प्रेसवार्ता में लाल डायरी का मामला उठाया था। गुढ़ा ने लाल डायरी में मुख्यमंत्री के करोड़ों रुपए के अवैध संपत्ति के रहस्य होने का जिक्र किया। आज सुबह जब हाउस जुड़ा, हमने प्रश्नकाल को बड़े अच्छे तरीके से निकाला और समाप्त होते समय हमने अपनी बात रखी। मैंने कहा कि यह सदन और प्रदेश जानना चाहता है कि नियम और प्रक्रिया अनुसार बर्खास्तगी होने पर सरकार सदन में पूरे घटनाक्रम पर अपना वक्तव्य दें। गुढ़ा ने जब बोलने के लिए समय मांगा तो उन्हें समय नहीं दिया गया। इस पर जब संसदीय कार्य मंत्री बोलने लगे तो गुढ़ा ने विरोध भी किया और उसके बाद जो भी घटनाक्रम हुआ उसे दुनिया ने देखा। इससे विधानसभा और प्रदेश शर्मसार हुआ है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने आनन-फानन में बिना बहस के चार बिल पारित किए हैं। सरकार आज लोकतंत्र का गला घोट रही है। भाजपा इस ‘‘लाल डायरी’’ को सदन और सड़क तक लेकर जाएगी। हमने विधायक गुढ़ा से भी मांग की है कि लाल धब्बे के तथ्य हमें उपलब्ध कराएं। विधायक गुढ़ा के साथ सदन में लाल डायरी छीनने और छीना झपटी की घटना से लोकतंत्र के मंदिर को कलंकित किया गया है।

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