स्वातंत्र्यवीर सावरकर के साहित्यों के अभ्यासक और उनके अनुयायी भागवताचार्य ह.भ.प वासुदेव नारायण उत्पात का कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया। वे श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर समिति के पूर्व सदस्य भी थे। वे 80 वर्ष के थे।
वा.ना उत्पात हिंदुत्ववादी विचारधाराओं के लिए प्रसिद्ध थे और स्वातंत्र्यवीर सावरकर के कट्टर अनुयायी थे। उन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के साहित्यों का विस्तृत अध्ययन किया और उसका प्रसार भी किया। वे स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी थे।
स्वातंत्र्यवर सावरकर स्मारक की ओर से जारी विज्ञप्ति में, स्वातंत्र्यवीर सावरकर के साहित्यों के अभ्यासक, कीर्तनकार, प्रखर हिंदुत्ववादी, भागवताचार्य ह.भ.प वासुदेव नारायण उत्पात को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
वा.ना उत्पात के कार्यों के सम्मान में 2001 में उन्हें स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया था।
वा.ना उत्पात पंढरपुर के सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र के प्रमुख नाम थे। वे पंढरपुर के नगराध्यक्ष भी थे। इसके अलावा पंढरपुर शिक्षण संस्था के अध्यक्ष थे और पूरा जीवन शिक्षण कार्य को समर्पित कर दिया था। उन्होंने श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में 25 वर्ष तक श्रीमद् भागवत व रुक्मिणी स्वयंवर की कथा का वाचन किया। वे पत्रकारिता में भी उत्कृष्ट कार्य के लिए पहचाने जाते थे इसके अलावा जीवन में 25 पुस्तकों का लेखन कार्य भी किया।
वा.ना उत्पात पंढरपुर के विकास की अग्रिम पंक्ति में सदा रहे। उन्होंने धार्मिक प्रबोधन के अलावा भारतीय इतिहास को भी लोगों में प्रसारित करने का कार्य किया।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर आधारित साहित्यों पर उनका विशाल अध्ययन था और इसका वे अपने मंचों पर हमेशा प्रसार करते थे। अपने इस कार्य को गति देने के लिए उन्होंने पंढपुर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर वाचनालय की स्थापना की। इस कार्य में उन्होंने अपने श्रीमद् भागवत कथा से मिले मानधन का उपयोग किया और क्रांति मंदिर की स्थापना की। गरीब विद्यार्थियों के लिए उन्होंने डॉ.बाबा साहेब आंबेडकर अभ्यासिका की निर्मिती की थी। शहर की आर्थिक गतिविधियों को बल देने के लिए भी उनका योगदान उल्लेखनीय था। वे पंढरपुर अर्बन बैंक के लंबे समय तक संचालक थे। उनके परिवार में चार पुत्री, एक पुत्र, पुत्रवधु, पौत्र का परिवार है।
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