प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 फरवरी को पश्चिम बंगाल स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के हिस्सा बने। वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए इस समारोह को उन्होंने संबोधित किया। पीएम ने कहा कि गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर के अद्भुत धरोहर मां भारती का हिस्सा बनना और आप सबसे जुड़ना मेरे लिए प्रेरक और आनंददायक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल ने अतीत में देश के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में भारत का नेतृत्व किया। यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली है।
पीम के संबोधन की खात बातेंः
जीवंत परंपरा का हिस्सा
आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के भाग भी हैं। गुरुदेव रबिंद्ननाथ टैगोर अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रुप में साकार करना चाहते तो इसका ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई अन्य नाम रख सकते थे। लेकिन उन्होंने इसका नाम विश्व भारती रखा। टैगोर इससे भारतीयता को विकसित करना चाहते थे।
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ये मॉडल त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित
गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा, वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था, इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया, जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे।
गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे: PM https://t.co/3oC2KrcQxj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 19, 2021
विद्यार्थियों को दिया ये संदेश
अगर नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है तो आपका हर निर्णय किसी न किसी समाधान की तरफ बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान औप भविष्य तय नहीं करती। हो सकता है, आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था, वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने से डरना नहीं चाहिए।
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विश्व भारती करे देश की शिक्षण संस्थानों का नेतृत्व
इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी का देश का सबसे बड़ा उपहार होगा, कि वे भारत की छवि को निखारने के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरुर करें। जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका अहसास बाकी देशों को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षण संस्थानों का नेतृत्व करना चाहिए।
तैयार करें एक विजन डॉक्यूमेंट
अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करें। वर्ष 2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बडे लक्ष्य होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रख सकते हैं।
रबिंद्रनाथ टैगोर ने की थी स्थापना
बंगाल के इस शांति निकेतन की स्थापना 1921 में रबिंद्रनाथ टैगोर ने की थी। विश्व भारती देश का सबसे प्राचीन केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इसमें वर्तमान में भी पाठशालाएं लगती हैं। छात्र खुले आसमान के नीचे वृक्षों की छांव में अध्ययन करते हैं। इस परिसर में हर ओर भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।