विश्व के कई अन्य देशों के साथ ही भारत को कोरोना वायरस से राहत मिलती तो दिख रही है, लेकिन बीच-बीच में इसके संक्रमण में होनेवाली बढ़ोतरी लोगों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों की भी टेंशन बढ़ा रही है। ऐसे वक्त में महाराष्ट्र विधानसभा का 1 मार्च से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। इस हालत में पिछले कई अधिवेशनों की तरह इस अधिवेशन पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है। इसे देखते हुए राज्य के विधानपरिषद सभापति रामराजे नाईक निंबालकर ने बजट सत्र से पहले विधायकों के टीकाकरण का आग्रह किया है।
बता दें कि 18 फरवरी को विधान परिषद के कामकाज सलाहकार समिति की बैठक हुई। इस बैठक में विधानपरिषद के सभापति रामराजे नाईक निंबालकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सभी विधायकों के कोरोना वायरस के टीकाकरण क आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर हमारे जनप्रतिनिधि ही टीका नहीं लगाएंगे तो राज्य की जनता में क्या संदेश जाएगा? उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को टीका लेकर जनता के मन से डर को दूर करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कही ये बात
सभापति की इस मांग पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जनप्रतिनिधियों के टीकाकरण के बारे में केंद्र सरकार निर्णय लेगी। इस बीच बैठक में निर्णय लिया गया है कि जितने सप्ताह तक बजट सत्र चलेगा, उतने सप्ताह सत्र में सभी लोगों की आरटीपीसी जांच की जाएगी, उसके बाद ही उन्हें सदन में प्रवेश दिया जाएगा। यह निर्णय सर्व सहमति से लिया गया है। फिलहाल बजट सत्र को लेकर 25 फरवरी को फिर से बैठक होगी।
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सत्र कम से कम चार सप्ताह तक चलाने की मांग
इस बीच कोरोना काल के मॉनसून और शीतकालीन सत्र की तरह इस सत्र को भी राज्य सरकार समय से पहले खत्म करना चाहती है। लेकिन विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी पार्टियों के भी कई विधायक सत्र को पूरी अवधि तक चलाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सत्र को पूरे काल तक चलाया जाएगा तो वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को रख सकेंगे। उनकी मांग है कि सत्र कम से कम चार हफ्ते तक चले।