सदन संवाद और चर्चा का पवित्र स्थान, दलगत से ऊपर सोचें जनप्रतिनिधि – ओम बिरला

जनप्रतिनिधि लोगों की आस्था और विश्वास के संरक्षक होते हैं। संवाद और चर्चा के स्थान पर सदन की कार्यवाही में बाधा डालकर, नारेबाजी करके और सदन में तख्तियां दिखाकर असहमति व्यक्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध व्यवधानों से सदन की गरिमा कम हो रही है।

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुवाहाटी में असम राज्य विधानसभा के नए भवन का रविवार को उद्घाटन किया। इस अवसर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि जनप्रतिनिधि लोगों की आस्था और विश्वास के संरक्षक होते हैं। संवाद और चर्चा के स्थान पर सदन की कार्यवाही में बाधा डालकर, नारेबाजी करके और सदन में तख्तियां दिखाकर असहमति व्यक्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध व्यवधानों से सदन की गरिमा कम हो रही है।

बिरला ने विधायकों से आग्रह किया कि वे विधानमंडलों को केवल भवन के रूप में न देखकर इसे संवाद और चर्चा का पवित्र स्थान मानें जहां लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाता है और लोकतंत्र की भावना को मजबूत किया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी सदस्यों को, राजनीतिक संबद्धता से ऊपर उठकर, विधायी निकायों की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

यह याद दिलाते हुए कि विधानमंडलों में होने वाली चर्चाओं का आम जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है, उन्होंने विधि निर्माताओं से लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विधायी मंचों का सदुपयोग करने की अपील की। बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि जनप्रतिनिधियों को रचनात्मक बहस के लिए इन मंचों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में गरिमा बनाए रखना सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी दलों के सदस्यों की जिम्मेदारी है। बिरला ने कहा कि यह भवन जन आकांक्षाओं और जनकल्याण का प्रतीक है।

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