लोकमान्य तिलक के सच्चे उत्तराधिकारी सरदार वल्लभभाई पटेल थे – डॉ. रिजवान कादरी

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देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल लोकमान्य तिलक की प्रेरणा से ही सार्वजनिक जीवन में आये। साबरमती नदी के तट पर तिलक ने स्वराज्य का आदर्श वाक्य दिया। उन्होंने सरदार पटेल को प्रेरित किया और उनमें यह भावना पैदा की कि हमें भी देश के लिए योगदान देना चाहिए। सरदार पटेल की लोकमान्य तिलक से मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया। तिलक की ओजस्वी आवाज, प्रखर बुद्धि और शैली को पटेल ने आत्मसात कर लिया। स्वराज्य से सुराज्य के उनके संकल्प को सरदार पटेल ने पूरा किया। अत: डॉ. का स्पष्ट मत है कि सरदार पटेल ही लोकमान्य तिलक के वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी थे। रिजवान कादरी ने व्यक्त किया।

नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी के मानद सदस्य और लोकमान्य तिलक पर शोधकर्ता प्रो. डॉ. रिज़वान कादरी ने 1 अगस्त को ‘हिंदुस्थान पोस्ट’ के कार्यालय का दौरा किया। लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर ‘हिंदुस्थान पोस्ट’ के संपादक स्वप्निल सावरकर ने उनसे बातचीत की। कादरी ने कहा, हालांकि मेरे शोध का मुख्य विषय महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल थे, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि अगर कोई उन्हें समझना चाहता है, तो पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को समझना होगा। तो सबसे पहले मैंने तिलक का अध्ययन किया। क्योंकि तिलक के बिना गांधी और सरदार पटेल अधूरे हैं।

सरदार पटेल का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश जनता की प्रेरणा से हुआ
जाति-धर्म-संप्रदाय के बंधनों को तोड़कर सभी भारतीयों ने तिलक को ‘लोकमान्य’ की उपाधि दी। वे स्वराज्य के मंत्र थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश लोकमान्य तिलक की प्रेरणा से हुआ। मैं इसे सबूतों के साथ साबित कर सकता हूं।’ 1916 में जब तिलक अहमदाबाद पहुंचे तो लगभग 40,000 लोग उनके स्वागत के लिए सुबह 4.30 बजे स्टेशन पर आए। ये भीड़ इस महान नेता को देखने के लिए, उनके दर्शन के लिए उमड़ी थी। साबरमती नदी के तट पर तिलक ने स्वराज्य का आदर्श वाक्य दिया। उन्होंने सरदार पटेल को प्रेरित किया और उनमें यह भावना पैदा की कि हमें भी देश के लिए योगदान देना चाहिए। कादरी ने यह भी कहा कि सरदार पटेल की लोकमान्य तिलक से मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया।

…और ब्रिटिश गार्डन में प्रकट हुई लोकमान्य तिलक की छवि
उस समय सरदार पटेल ने भारत पर ब्रिटिश कब्जे के दौरान अहमदाबाद में रानी विक्टोरिया गार्डन के प्रवेश द्वार के सामने लोकमान्य तिलक की प्रतिमा स्थापित करने का साहस किया था। पटेल ने अंग्रेजों द्वारा बनाये गये पार्क के पास स्वराज्य का आदर्श वाक्य देने वाले तिलक की तस्वीर लगाकर अपना राजनीतिक जीवन दांव पर लगा दिया था। कादरी ने कहा, इसलिए, सरदार वल्लभभाई पटेल तिलक के असली राजनीतिक उत्तराधिकारी थे, जिन्होंने कहा था कि स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।

तिलक की समाधि के बगल में दूसरी समाधि किसकी?
मुंबई में गिरगांव चौपाटी पर लोकमान्य तिलक की समाधि के बगल में एक और समाधि है, विट्ठलभाई पटेल की। वह सरदार वल्लभभाई पटेल के बड़े भाई थे। उन्हें केंद्रीय विधान सभा के पहले भारतीय अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त हुआ। तिलक और विट्ठलभाई की दोस्ती भाई-बहन से भी बढ़कर थी। इसलिए उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि देश की आजादी के बाद मेरे शरीर को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित कर लोकमान्य तिलक की समाधि के बगल में अंतिम संस्कार किया जाए। लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए कभी तैयार नहीं थी। क्योंकि जब तिलक की मृत्यु हुई तो उनके अंतिम संस्कार में करीब साढ़े आठ लाख लोग आये थे। अंग्रेजों की मंशा थी कि दोबारा ऐसा माहौल न बने। इसलिए, उनके परिवार को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया और उनके शरीर का सोनपुर श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया गया, ऐसा डॉ. रिजवान कादरी ने कहा।

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