वाराणसी के ज्ञानवापी मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई। इसमें शृंगार गौरी की नियमित पूजा की अनुमति दिए जाने की मांग की गई है। साथ ही शृंगार गौरी मामले में वाराणसी कोर्ट का फैसला आने तक परिसर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किए जाने की मांग की गई है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच द्वारा गुरुवार को ज्ञानवापी मामले में फैसला सुनाए जाने से एक दिन पहले यह जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस मामले को लेकर वाराणसी कोर्ट में पहले से ही वाद चल रहा है। वाराणसी कोर्ट में शृंगार गौरी की नियमित पूजा की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाली राखी सिंह व अन्य की तरफ से जनहित याचिका दाखिल की गई है। जनहित याचिका में ज्ञानवापी परिसर में मिले हिंदुओं के प्रतीक चिह्नों को संरक्षित किए जाने और गैर हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की हाई कोर्ट से अपील की गई है।
पीआईएल में कहा गया है कि शृंगार गौरी केस में जब तक वाराणसी की अदालत का फैसला नहीं आ जाता तब तक परिसर में गैर हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए और ज्ञानवापी परिसर में मिले हिंदू प्रतीक चिह्नों को संरक्षित रखने का आदेश दिया जाए। इस तरह की व्यवस्था की जाए जिससे ज्ञानवापी में एएसआई सर्वेक्षण का काम प्रभावित न हो। याचियों ने अपनी जनहित याचिका अपने अधिवक्ता के माध्यम से अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दाखिल किया है। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच में अगले सप्ताह होने की उम्मीद है।
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