राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार एक बार विपक्षी एकजुटता को झटका देते नजर आ रहे हैं। 2 अगस्त को मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। उसके बाद विपक्षी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के अधिकांश वरिष्ठ नेता मौजूद थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उम्मीद थी कि पवार भी उसमें शामिल होंगे, लेकिन वे उसमें शामिल नहीं हुए। हालांकि राष्ट्रपति से मुलाकात के समय वे विपक्षी नेताओं के साथ मौजूद थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार की गैर मौजूदगी में मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया के सवालों के जवाब दिए। खड़गे ने पीसी में कहा कि उन्होंने हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। वहां जारी हिंसा और खासकर महिलाओं पर हो रहे अन्याय और अत्याचार से हमने उन्हें अवगत कराया है।
प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने से बचना चाहते थे पवार
शरद पवार के इस कदम को राजनीति में काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि पवार विपक्षी एकजुटता से अलग लाइन ले सकते हैं। निश्चित रूप से उनका ये कदम विपक्षी एकता के लिए बड़ा झटका होगा। समझा जा रहा है पवार जान-बूझकर विपक्ष की पीसी में शामिल नहीं हुए क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं बोलना चाहते हैं।
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पुणे में मोदी के साथ साझा किया मंच
बता दें कि इससे 24 घंटे पहले ही शरद पवार पुणे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर रहे थे। वे उन्हें लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित कर रहे थे। हालांकि उनके इस कदम का उनकी ही पार्टी एनसीपी में विरोध हो रहा था और कांग्रेस ने भी पोस्टर लगाकर पवार के इसक विरोध किया था। हालांकि पवार ने इसे गैर राजनीतिक कार्यक्रम बताया था।
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