संसद में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की जोरदार पैरवी, 20 करोड़ लोगों की भाषा का दिया हवाला

अगर कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में वर्ष 1967 में सिंधी, वर्ष 1992 में कोंकणी, मैनपुरी और नेपाली तथा वर्ष 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकता है तो भोजपुरी को क्यों नहीं?

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने भोजपुरी के पक्ष में अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा। संसद के शून्यकाल के दौरान उन्होंने न सिर्फ भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई बल्कि जरूरत पड़ने पर आयोग के पुनर्गठन की बात भी कही।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भाषा सिर्फ शब्द और संवाद ही नहीं होती है बल्कि भाव, सभ्यता और संस्कृति की भी वाहक है। इसी क्रम में उन्होंने आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को बोलने वालों से तुलना भी की। उन्होंने बताया कि गुजराती सिर्फ 05.50 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। बावजूद इसको 8वीं अनुसूची में जगह मिली है, लेकिन भारत में 06 करोड़ और विश्व में 20 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी आज भी इस सूची में शामिल होने को तरस रही है। वे इतने पर ही नहीं रुके। आगे भी सूची में शामिल भाषाओं को बोलने वालों की संख्या गिनाते रहे।

उन्होंने बताया कि ऊर्दू बोलने वालों की संख्या 05.07 करोड़, कन्नड़ 04.35 करोड़, मलयालम 03.47 करोड़, उड़िया 03.40 करोड़, पंजाबी 02.11 करोड़, राजस्थानी 02.58 करोड़, छत्तीसगढ़ी 01.62 करोड़, आसामी 01.48 करोड़, मैथिली 01.33 करोड़, संथाली 69.73 लाख, कश्मीरी 65.54 लाख, नेपाली 29.26 लाख, गोंडी 28.57 लाख, सिंधी 27.72 लाख, डोगरी 25.56 लाख, कोंकणी 20.47 लाख, मैथिली 15.58 लाख तथा बोडो 14.48 लाख लोग बोलते हैं, बावजूद इसके ये भाषाएं 8वीं अनुसूची में शामिल हैं। इतना ही नहीं, मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में शामिल 154 भाषाओं में भी भोजपुरी शामिल हैं। यह भोजपुरी के प्रति उदासीनता का परिचायक है। इससे भी दुखद यह है कि भारत की 8वीं अनुसूची में शामिल 22 अधिकृत भाषाओं में भी इसका नाम नहीं है।

उन्होंने कहा कि इसलिए भोजपुरी को भी अब आठवीं अनुसूची में शामिल करने का समय आ गया है। इसके बाद भी वे पूरी लय में थे। उन्होंने कहा कि अगर कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में वर्ष 1967 में सिंधी, वर्ष 1992 में कोंकणी, मैनपुरी और नेपाली तथा वर्ष 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकता है तो भोजपुरी को क्यों नहीं? इस दौरान उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आयोग का पुनर्गठन किया जाये और भोजपुरी को भी आंठवी अनुसूची में शामिल किया जाये।

इन क्षेत्रों की प्रमुख बोली है भोजपुरी
-पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली, महराजगंज, गाजीपुर, मिर्जापुर, जौनपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर
-बिहार के बक्सर, सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण, वैशाली, भोजपुर, रोहतास, भभुआ
-झारखंड के पलामू और गढ़वा के अतिरिक्त मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल के अनेक क्षेत्रों में अपनी मिठास के लिए जानी जाती है भोजपुरी
डॉ मोहनदास अग्रवाल ने कहा कि भोजपुरी एक सम्पूर्ण और समृद्ध भाषा है और अपनी मिठास के लिए जानी जाती हैं। नेपाल, फिजी और मारीशस में इसको संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। दुनिया के 40 देशों के 20 करोड़ लोग इसे बोलते हैं।

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