हरियाणा सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों (एमएसएमई) को प्रोत्साहित करने के लिए कई राहत प्रदान की है। प्रदेश सरकार ने पदमा नीति में बदलाव करते हुए प्रत्येक ब्लाक में एमएसएमई औद्योगिक कलस्टर विकसित करने का दायरा 100 एकड़ से कम करके 25 एकड़ कर दिया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पदमा नीति में बदलाव को मंजूरी प्रदान की गई। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल थे। इन परियोजना के लिए भूमि की व्यवस्था राज्य सरकार या कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक निजी डेवलपर्स द्वारा या खरीद के माध्यम से या कम से कम 30 वर्षों के पट्टे पर की जा सकेगी। विकासशील एजेंसी द्वारा राज्य सरकार से 50 प्रतिशत से 85 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकेगी जो अधिकतम 50 करोड़ रुपये होगी।
पदमा क्लस्टर स्थापित करने में निजी एजेंसियों को सक्षम बनाने और नए व संभावित उद्यमियों को पदमा क्लस्टर के भीतर इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय निर्धारित किया है। सरकार पदमा क्लस्टर के अंदर एमएसएमई इकाइयों को समर्थन देने के लिए इस योजना के तहत 50 करोड़ रुपये का एक रिवाल्विंग वेंचर कैपिटल फंड स्थापित करेगी।
सरकार अधिकतम 30 प्रतिशत तक की पूंजी निवेश सब्सिडी प्रदान करेगी जो क्लस्टर के अंदर एमएसएमई इकाइयों को 30 लाख रुपये और पदमा ब्याज सब्सिडी योजना उत्पादकता को बढ़ावा देगी तथा ऋण की लागत को कम करेगी।
स्टार्टअप के लिए 20 लाख रुपये की मदद
पदमा उद्यमिता त्वरण योजना पूंजी की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करेगी जो किसी उद्यम के विकास के शुरुआती चरण में उद्यमियों के लिए आवश्यक है। राज्य सरकार स्टार्टअप को अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद ट्रेल्स, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण हेतु नवाचार के लिए 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
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