मंदिरों में वीआईपी कल्चर के खिलाफ मोरारी बापू, कही ये बात

मोरारी बापू की यह यात्रा 22 जुलाई को ऋषिकेश से शुरू हुई थी। यात्रा विश्वनाथ, मल्लिकार्जुन, बैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम, भीमाशंकर, ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्रयंबकेश्वर होते हुए महाकालेश्वर पहुंची। शनिवार देर रात यात्रा उज्जैन से गुजरात की द्वारिकापुरी के लिए रवाना हुई, जहां से 7 अगस्त को यात्रा आखिरी पड़ाव सोमनाथ जाएगी।

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प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू शनिवार को विशेष ट्रेन से उज्जैन पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन किया। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मंदिरों में वीआईपी कल्चर खत्म होना चाहिए। मंदिरों ने आम लोगों को प्राथमिकता देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य देश में एकता बनाए रखना और राष्ट्र कल्याण है। मणिपुर में रामकथा का प्रोग्राम था, लेकिन वहां के हालात देखकर कार्यक्रम निरस्त करा पड़ा। वहां महिला के साथ हुई घटना से सिर शर्म से झुक गया।

गौरतलब है कि कथावाचक मोरारी बापू 12 ज्योतिर्लिंगों में जाकर रामकथा सुना रहे हैं। इसके लिए श्रद्धालुओं के साथ विशेष ट्रेन से यात्रा पर हैं। ऋषिकेश से शुरू हुई यात्रा शनिवार को उज्जैन पहुंची। यहां रेलवे स्टेशन पर मोरारी बापू का स्वागत किया गया। यहां उन्होंने महाकाल मंदिर के पास स्थित सरस्वती स्कूल में रामकथा सुनाई।

22 जुलाई से शुरू हुई थी यात्रा
मोरारी बापू की यह यात्रा 22 जुलाई को ऋषिकेश से शुरू हुई थी। यात्रा विश्वनाथ, मल्लिकार्जुन, बैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम, भीमाशंकर, ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्रयंबकेश्वर होते हुए महाकालेश्वर पहुंची। शनिवार देर रात यात्रा उज्जैन से गुजरात की द्वारिकापुरी के लिए रवाना हुई, जहां से 7 अगस्त को यात्रा आखिरी पड़ाव सोमनाथ जाएगी।

यात्रा के लिए 22 जुलाई से 7 अगस्त तक के लिए ट्रेन बुक की गई है। इनमें दो ट्रेनें शामिल हैं। ट्रेनों के नाम कैलाश और चित्रकूट है। कैलाश नाम की ट्रेन में मोरारी बापू सवार हैं। उनके साथ 301 श्रद्धालु, सेवक और विदेशी भक्त शामिल हैं। इसके अलावा, दूसरी ट्रेन में बाकी श्रद्धालु हैं। ये यात्री 12 हजार किमी का सफर तय करते हुए ज्योतिर्लिंगों के अलावा जगन्नाथ पुरी, द्वारकापुरी और तिरुपति बालाजी धाम को भी जोड़ेगी।

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