केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 6 अगस्त को पुणे में सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार के डिजिटल पोर्टल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, अमित शाह ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ मंच साझा किया। वे हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हुए हैं।
इस अवसर पर शाह ने कहा, “अजित दादा (पवार) डिप्टी सीएम बनने के बाद पहली बार आए हैं और मैं उनके साथ मंच साझा कर रहा हूं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि लंबे समय के बाद आप सही जगह पर बैठे हैं। यह आप की सही जगह थी लेकिन आपको आने में बहुत देर हो गई।”
अजित पवार ने की बगावत
राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने अपनी पार्टी में विभाजन का नेतृत्व किया है और 2 जुलाई को सत्तारूढ़ शिवसेना (शिंदे)-भाजपा सरकार में शामिल हो गए। उन्होंने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि आठ अन्य विधायकों ने भी शपथ ली। छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, दिलीप वालसे पाटील और अदिति तटकरे शिंदे कैबिनेट में एनसीपी के अजीत गुट की ओर से मंत्री बनाए गए।
अजीत पवार अपने चाचा शरद पवार द्वारा प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले को राकांपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने के कुछ दिनों बाद सत्तारूढ़ खेमे में चले गए। बता दें कि पिछले कुछ समय से अजीत पवार के भाजपा गठबंधन से हाथ मिलाने की अटकलें तेज हो गई थीं।
जानिये, अजीत पवार गुट में शामिल होने की चर्चा के बीच क्या बोले जयंत पाटील?
इस तरह चला राजनीतिक घटनाक्रम
नवंबर 2019 में, अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में हंगामा खड़ा कर दिया था। हालांकि शरद पवार उन्हें और अन्य राकांपा विधायकों को पार्टी में वापस लाने में कामयाब रहे थे। केवल तीन दिनों में फडणवीस और अजित पवार दोनों के इस्तीफा देने के बाद सरकार गिर गई थी। उसके बाद शिवसेना (अविभाजित)-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता में आया और अजित ने फिर से डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद महाविकास आघाड़ी की सरकार अल्पमत में आ गई और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया ।