विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा की मांग को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है। लेकिन क्या वाकई इस चर्चा को लेकर वह गंभीर है, उसके स्टैंड को देखकर यह सवाल उठ रहा है। जब भी सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार होती है, विपक्ष कोई न कोई ऐसा कमद उठाता है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल खड़ा हो जाता है।
9 अगस्त को भी ऐसा ही नरजारा देखने को मिला। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण 9 अगस्त को राज्यसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। सुबह से लेकर दोपहर तक सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
खड़गे सहित विपक्षी सदस्यों ने किया वाकआउट
राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर बाद जब पुन: शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना पक्ष रखने को कहा। इस दौरान खड़गे ने कहा कि वह चाहते हैं कि सदन में नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा हो और प्रधानमंत्री मोदी सदन में जवाब दें। इसके बाद सभापति ने राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल को इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखने को कहा। गोयल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मणिपुर का मुद्दा गंभीर है। सरकार ने हमेशा इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा है। सरकार चाहती है कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो। गृहमंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए तैयार हैं।
विपक्ष की जिद
खड़गे सहित विपक्षी सदस्यों का कहना था कि नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और चर्चा के बाद प्रधानमंत्री जवाब दें। इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने नियमों का हवाला देते हुए विपक्ष को समझाने की कोशिश की। जोशी ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। मणिपुर का मुद्दा गंभीर हैं। इसपर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम नियम 167 के तहत चर्चा के लिए तैयार हैं। गृहमंत्री हमारी ओर से अपनी बात रखेंगे।
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खड़गे का आरोप
संसदीय कार्य मंत्री जोशी के इस बात पर असहमति व्यक्त करते हुए खड़गे ने कहा कि उनकी बात को सदन गंभीरता से नहीं ले रहा है। उनकी मांगों पर सरकार गौर नहीं कर रही है। इसलिए विपक्ष असहमति जताते हिए सदन से वॉकआउट कर रहा है। यह कहते हुए कांग्रेस सहित इंडिया के घटक दलों के सदस्यों ने वॉकआउट किया।