सुरा, सुंदरी और सेक्स के बाद अब ड्रग्स, तमाशा दिखानेवाले खुद बन रहे तमाशा

सेक्स, सुरा और सुंदरी, इस इंडस्ट्री की असली पहचान है। इन तीनों से शायद ही बॉलीवुड का कोई शख्स बचा रहा हो। कास्टिंग काउच और मीटू के तमाम आरोप यहां पहले से ही लगते रहे हैं। हालांकि बॉलीवुड की इस तरह की जितनी घटनाओं का भंडाफोड़ हो जाता है, वो आटे में नमक से ज्यादा नहीं हैं। सच तो यह है कि ऐसे 99 प्रतिशत मामले प्रकाश में ही नहीं आते। वे जहां शुरू होते हैं, वहीं खत्म भी हो जाते हैं। रात गई बात गई वाली कहावत बॉलीवुड से ज्यादा और कहीं नहीं लागू होती।

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मुंबई। सुशांत सिंह राजपूत केस से पहले तक जिनकी फिल्मो को देखने के लिए लोग लायायित रहते थे, अब वे खुद किसी दिलचस्प फिल्म का हिस्सा बनते दिख रहे हैं। वाकई सुशांत की मौत से लेकर अबतक के तमाम घटनाक्रम को जोड़ दिया जाए तो ये एक दिलचस्प फिल्म की स्टोरी बन सकती है। ऐसी ही कहानियां बॉलीवुडवाले इस मामले के खुलने से पहले गढ़ते थे और उसी की बदौलत शान-ओ-शौकत की जिंदगी जीते थे। लेकिन अब बॉलीवुड की हकीकत परत दर परत खुलने के बाद लोग हक्का-बक्का हैं और उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि जिनको वे आसमान के सितारे समझते थे, उनकी असलियत ऐसी हो सकती है।

सफलता को पचाना आसान नहीं
सवाल यह है कि इस बॉलीवुड में ऐसे शौक क्यों पैदा होते हैं। इस सवाल का जवाब तलाशना कोई मुश्किल काम नहीं है। मशहूर कहावत है, “सफलता को पचाना आसान नहीं होता। जो पचा जाते हैं, वो इतिहास लिखते हैं और जो नहीं पचा पाते हैं, उनके लिए आगे की राह आसान नहीं होती।” क्योंकि सफलता जहां इंसान को नई ऊंच्चाई और पहचान देती है, वहीं हर कदम पर उसकी परीक्षा भी लेती है। कोई भी गलत कदम उसके लिए बड़ी मुसीबत खड़ा कर सकता है। कहने का अर्थ यह कि बॉलीवुड में जब लोगों को सफलता मिल जाती है तो उनके बहकने के चांसेज ज्यादा रहते हैं। हालांकि यह भी सच है कि यहां सफल होना आसान नहीं है। सफलता के आसमान में चमक रहे सितारों को इसके लिए काफी मेहनत और समझौते करने पड़ते हैं। इसके बावजूद सफल होने के बाद ज्यादातर लोग अपने संघर्ष की दास्तान को भूलकर अय्याशी के जीवन जीने में मशगूल हो जाते हैं।

सेक्स, सुरा और सुंदरी इंडस्ट्री की असली पहचान
सेक्स, सुरा और सुंदरी, इस इंडस्ट्री की असली पहचान है। इन तीनों से शायद ही बॉलीवुड का कोई शख्स बचा रहा हो। कास्टिंग काउच और मीटू के तमाम आरोप यहां पहले से ही लगते रहे हैं। हालांकि बॉलीवुड की इस तरह की जितनी घटनाओं का भंडाफोड़ हो जाता है, वो आटे में नमक से ज्यादा नहीं हैं। सच तो यह है कि ऐसे 99 प्रतिशत मामले प्रकाश में ही नहीं आते। वे जहां शुरू होते हैं, वहीं खत्म भी हो जाते हैं। रात गई बात गई वाली कहावत बॉलीवुड से ज्यादा और कहीं नहीं लागू होती।

हर हाल में सपने को सच करने का जुनून
हीरो-हीरोइन बनने के लिए हर तरह के समझौता करने के लिए तैयार बैठे लोगों की आंखों में एक ही सपना होता है कि किसी भी तरह सफल होना। किसी भी कीमत पर बॉलीवुड का स्टार बनना। इसके लिए ज्यादातर लोगों का शरीर सिर्फ एक जरिया जैसा होता है, जिसकी बदौलत वे अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। अभिनेत्री कंगना रनौत ने इसका खुलासा किया था। उसके साथ 16 वर्ष की उम्र में इस इंडस्ट्री में गंदे खेल खेले गए, ऐसे खेल ज्यादातर न्यू कमर्स के साथ खेले जाते हैं। लेकिन क्या इसमें खेल खेलनेवाले की ही पूरी गल्ती है,कानूनन भले यही सही हो, लेकिन सच तो यह है, इसके लिए तमाम तरह के समझौते करने के लिए तैयार अभिनेता-अभिनेत्रियों को भी गंगाजल जैसा पवित्र नहीं करार दिया जा सकता, क्योंकि उनके साथ जो कुछ भी होता है, उसमें उनकी भी स्वीकृति होती है, भले ही लालच में ही सही। लालच ही तो सारी बुराईयों की जड़ है तो फिर यहां क्यों लालच में तमाम तरह के समझौते करनेवाले को निर्दोष मानकर उसे दूध का धुला हुआ बता दिया जाए। हां, कंगना जैसी नाबालिग लड़कियों की बात और है। क्योंकि इनके लिए कानून ढाल का काम कर सकता है। सफलता का नशा बहुत बुरा होता है। इसका नशा अगर किसी को चढ़ गया तो उसे बर्बाद होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। इसके कई उदाहरण सामने हैं, उनमें राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार भी शामिल हैं। बाकी राज किरण और गोविंदा जैसे लोग भी हैं।

कभी संगत में तो कभी इच्छा से तो कभी मजबूरी में
आखिर बॉलीवुड में गांजा, चरस और ड्र्ग्स जैसे नशीले पदार्थों के सेवन इतने बड़े पैमाने पर होने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं। इसका जवाब यह है कि जब इंसान को सभी सुख-सुविधाएं मिलने लगती हैं तो फिर वो जंदगी को ज्यादा से ज्यादा इंजॉय करने लगता है। कभी संगत के कारण और कभी खुद की इच्छा से और कभी मजबूरी में, जो बाद में उसकी लत बन जाती है। दीपिका पादुकोण, रकुल प्रीत सिंह, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर और अन्य महिलाओं के ड्रग्स के केस में नाम आने से लोग सकते में हैं और कह रहे हैं कि मैं उन्हें क्या समझता था और वे क्या निकलीं।
करण जौहर का बचना मुश्किल
अब तो अपने आपको जोकर कहनेवाला फिल्म प्रोड्यूसर-निर्देशक करण जौहर पर भी एनसीबी का शिकंजा कसता जा रहा है। अभी तक इस मामले में 20 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि इस केस की मुख्य सूत्रधार रिया चक्रवर्ती ने बॉलीवुड की 25 हस्तियों के नाम एनसीबी को बताए हैं। उनमें से करीब 15 लोगों के नामों पर से पर्दा उठना बाकी है। कल तक लोगों को फिल्मी तमाशा दिखाकर मनोरंजन करनेवाले अब खुद ही तमाशा बन गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना महामारी के खत्म हो जाने के बाद भी बॉलीवुड खुद को संभाल पाएगा?

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