चीन के चंगुल में नेपाल, कैबिनेट ने लिया भारत विरोधी निर्णय

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नेपाल धीरे-धीरे चीन के चंगुल में फंसता जा रहा है। इसके साथ ही उसकी भारत से दूरी बढ़ती जा रही है। नेपाल चीन की चाल में इस तरह फंस चुका है कि उसे श्रीलंका और पाकिस्तान की स्थिति भी नहीं दिख रही है, जिसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है।

फिलहाल नेपाल सरकार की कैबिनेट बैठक में चीन से मिल रहे 21 एयरक्राफ्ट ड्रोन स्वीकार करने का निर्णय लिया गया है। 10 अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में गृह मंत्रालय के इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है।

सूचना तथा संचार मंत्री रेखा शर्मा ने दी जानकारी
कैबिनेट बैठक के बाद सरकार की प्रवक्ता, सूचना तथा संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कहा कि सीमा सुरक्षा के उद्देश्य से चीन के पब्लिक सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट के तरफ से दिए जाने वाले रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट ड्रोन को स्वीकार करने का निर्णय किया गया है। प्रवक्ता का कहना है कि चीन की तरफ से सिक्यूरिटी इक्वीपमेंट अंडर ग्रांट असिस्टेंस के तहत नेपाल को यह एयरक्राफ्ट ड्रोन दिए जा रहे हैं। हाल ही में नेपाल के गृहमंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ के चीन दौरे के समय यह सहमति बनी थी।

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सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल के उपयोग के लिए एयरक्राफ्ट ड्रोन को दी मंजूरी
गृह मंत्रालय का कहना है कि यह एयरक्राफ्ट ड्रोन नेपाल के सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल (एपीएफ) को उपयोग करने के लिए दिए जायेंगे। तिब्बत से लगी नेपाल सीमा की निगरानी, अवैध घुसपैठ, सीमा तस्करी और अन्तर्देशीय अपराध को रोकने के लिए इसका उपयोग किए जाने की बात एपीएफ की तरफ से कही गई है। हालांकि, इसका उपयोग नेपाल और चीन के सीमा पर किए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन भारतीय सीमा पर इसका प्रयोग किये जाने पर भारत की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है।

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