स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की जम्मू में खुलेगी पहली शाखा… 

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आत्मार्पण को 55 वर्ष बीत गए हैं। लेकिन राष्ट्र की समृद्धि, विकास, सुरक्षा को लेकर दिये गए उनके सुझाव आज भी उतने ही कारगर हैं।

165

जम्मू में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा इस बार आत्मार्पण दिवस कार्यक्रम 26 फरवरी 2021 को जम्मू में आयोजित किया गया है। इस बार यह एक विशेष संदेश के साथ होना है जिसका स्लोगन है ‘सिंधु नदी से, सिंदु सागर तक स्वातंत्र्यवीरों की बात।’ इसके माध्यम से स्वातंत्र्यवीर के विचारों को सिंधु नदी से गति देने के कार्य का प्रारंभ होगा।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन अखंड भारत के निर्माण के लिए अर्पण कर दिया था। पंद्रह वर्ष की आयु में नासिक के भगूर से उन्होंने राष्ट्रकार्य का बीड़ा उठाया। इसके लिए यातनाएं सही, पचास वर्षों के दोहरे आजीवन कारावास की सजा का सामना किया। अंदमान में अमानवीय प्रताड़नाओं का सामना किया। असंख्य क्रांतिकारियों के बलिदान के चलते 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। लेकिन इस स्वतंत्रता के पहले ही भारत का बंटवारा हो चुका था। स्वातंत्र्यवीर ने इस स्वतंत्रता का भी स्वागत किया। इसके बाद उनके जीवन का उद्देश्य उन्होंने सामाजिक एकता की ओर कर दिया।

जम्मू में पहली शाखा की स्थापना
स्वातंत्र्यवीर ने अपने क्रांतिकार्यों के लिए पूरे विश्व का भ्रमण किया था। भारत के सभी हिस्सों में गए। देश की स्वतंत्रता के लिए पत्रक बंटवाए, प्रचार किया। अपने प्रवास में वे जुलाई 1942 में जम्मू भी गए। वहां उनका अप्रतिम स्वागत हुआ। तत्कालीन राजा ने भी स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आगमन का स्वागत किया और स्तुति की थी। अब स्वातंत्र्यीवर सावरकर के विचारों से लोगों अवगत कराने के लिए जम्मू में शाखा की स्थापना की जा ही है।

स्वातंत्र्यवीर के जम्मू प्रवास को अब 79 वर्ष हो चुके हैं। इस काल में जम्मू -कश्मीर ने बड़े बदलाव देखे। आतंक झेला, कश्मीरी हिंदुओं की जघन्य हत्याओं का साक्षी बना। इन परिस्थितियों के बीच 5 अगस्त 2019 को राज्य से अनुच्छेद 370 और 35-ए समाप्त हो गया। इन परिवर्तनों के पश्चात इस राज्य की पीढ़ियों को देश की मुख्यधारा के साथ चलने के लिए सुदृढ़ करने और भारत की ऐतिहासिक संपदा से समृद्ध कराने का निश्चय करते हुए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक अब जम्मू में जा रहा है। इस शाखा की स्थापना स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, कार्यवाह राजेंद्र वराडकर और सहकार्यवाह स्वप्निल सावरकर की उपस्थिति में संपन्न होगा। इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर रचित दो गीतों के नए सेट रिलीज भी होगा। ‘जयोस्तुते’ को आर्या आंबेकर ने गाया है जबकि ‘अनादि मी’ को जयदीप वैद्य ने गाया है। इसकी संगीतकार हैं वर्षा भावे और संगीत निर्देशक कमलेश भडकमकर का है। इन गीतों का हिंदी अनुवाद रणजीत सावरकर ने किया है।

क्रांतिकार्यों के साथ समाज प्रबोधन
वैसे, अंदमान कारागृह में ही स्वातंत्र्यवीर ने धर्मांतरण पर रोक, धर्मांतरित हुए बंदियों की शुद्धि का कार्य, बंदियों की शिक्षा के लिए कार्य शुरू कर दिया था। यह कार्य रत्नागिरी की स्थानबद्धता काल में चलता रहा। वहां अस्पृश्यता निर्मूलन, अति-दलितों को मंदिर के गर्भगृह में पूजा का अवसर प्राप्त कराया इसके अलावा रोटी बंदी, बेटी बंदी, वेदोक्त बंदी, सिंधु बंदी, स्पर्श बंदी, शुद्धि बंदी, व्यवसाय बंदी नामक सप्त बंदी श्रृंखला को तोड़ने का प्रयत्न किया। पतितपावन मंदिर में अस्पृश्यों को न सिर्फ प्रवेश बल्कि गर्भगृह में जाकर पूजा करने का सम्मान भी दिलाया। समाज के अति-पिछड़ों को व्यवसाय के अवसर उपलब्ध कराए। जबकि, स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने हिंदू समाज की एकता के प्रबोधन कार्य में अपने आपको अर्पित कर दिया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.