मुंबई के दादर स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में 77वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में ध्वजारोहण किया गया। इस समारोह में कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेंद्रनाथ सूरी प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, कार्यवाह राजेंद्र वराडकर, एसआरएल लैब के डॉ. अविनाश फडके, समर्थ व्यायाम मंदिर के उदय देशपांडे, स्मारक के सदस्य और महाराष्ट्र मिलिट्री स्कूल के पदाधिकारी व छात्र उपस्थित थे।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के प्रांगण में सबेरे 8.30 बजे ध्वजारोहण किया गया। इसके पश्चात महाराष्ट्र मिलिट्री स्कूल के छात्रों ने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। इस अवसर पर परेड भी संपन्न हुई। छात्रों ने ध्वजारोहण के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क के चारो ओर परेड किया। बैंड के साथ मिलिट्री स्कूल के परिधान में कदम ताल करते छात्रों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए थे। इसमें बच्चे, महिला-पुरुष, प्रौढ़ सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। कार्यक्रम के बीच भारत माता की जयकार से परिसर गूंज रहा था।
योगासन प्रस्तुति
महाराष्ट्र मिलिट्री स्कूल के छात्रों ने ध्वजारोहण, परेड के बाद छात्रों ने शारीरिक क्षमता और योगासन की प्रस्तुति की। इसमें छात्रों ने तिरंगे झंडे को लेकर समूह में विभिन्न करतब करके दिखाए। इसके बाद छात्रों ने योग की विभिन्न मुद्राओं का भी प्रदर्शन किया।
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भारत की एकता टिकी रहे
स्वतंत्रता दिवस पर कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेंद्रनाथ सूरी ने देश के एकता और अखंडता के लिए अपील की, उन्होंने कहा कि, मैं तीस वर्षों से सेना और 25 वर्षों से कॉर्पोरेट क्षेत्र में सैन्य सेवा दे रहा हूं। मेरा जन्म अखंड भारत के पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय मैं एक वर्ष का था, देश के बंटवारे के बाद हम पेशावर से उत्तर प्रदेश आ गए। यद्यपि, देश को स्वातंत्रता प्राप्त हुए 76 वर्ष हो गए हैं, लेकिन तब भी यह भूलना नहीं चाहिये कि, हम पारतंत्र कैसे हो गए थे। हमारा जेश 500 से अधिक प्रांतों में बिखरा हुआ था, जिसमें प्रत्येक प्रांत को अपना अस्तित्व बचाना था। इसलिए हममें आपसी बैर था, जिसका लाभ आक्रांताओं ने उठाया। देश में पहले इस्लामी राजशाही और उसके बाद ब्रिटिशों ने राज किया। इसिलए अब यह आवश्यक है कि, देश की एकजुटता अब बनी रहे, यह सभी की जिम्मेदारी है।