वीरता पुरस्कार: राष्ट्रपति ने 76 पुरस्कारों को दी मंजूरी, सेना को मिले कुल 52 पदक

सेना को दिए गए नौ शौर्य चक्रों में से चार को मरणोपरांत प्रदान किया गया। इसमें आर्मी एविएशन के पायलट मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहरा शामिल हैं।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कुल 76 वीरता पुरस्कारों को मंजूरी दे दी है। इन पुरस्कारों में चार कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) और 11 शौर्य चक्र शामिल हैं। 11 शौर्य चक्र में पांच मरणोपरांत हैं। इसके साथ ही दो बार टू सेना पदक (वीरता) , 52 सेना पदक (वीरता), 3 नौसेना पदक (वीरता) और 4 वायु सेना पदक (वीरता) को मंजूरी दी गई है। अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र भारत के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार हैं।

राष्ट्रपति ने भारतीय तटरक्षक कर्मियों को एक राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (पीटीएम) और पांच तटरक्षक पदक (टीएम) प्रदान करने की भी मंजूरी दी है।

सीआरपीएफ कर्मियों को मरणोपरांत दिए गए चार कीर्ति चक्र पुरस्कार
-सेना को दिए गए नौ शौर्य चक्रों में से चार को मरणोपरांत प्रदान किया गया। इसमें आर्मी एविएशन के पायलट मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहरा शामिल हैं। पिछले साल अक्टूबर में, अरुणाचल प्रदेश में एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) रुद्र में इंटेलिजेंस-निगरानी-टोही (आईएसआर) मिशन पूरा करने के बाद, पायलट वापस जा रहे थे, तभी हेलीकॉप्टर में आग लग गई थी।

-एक खतरनाक स्थिति का सामना करते हुए, मेजर विकास भांभू और मेजर मुस्तफा बोहारा ने अपनी जान बचाने के बजाय, असाधारण साहस और उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया। विमान को उड़ाया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं में सर्वोच्च बलिदान देते हुए विमान को जनहित में दुर्घटनाग्रस्त कर दिया।

-इस वर्ष जनवरी में सियाचिन में एक अग्रिम चौकी पर भीषण आग की घटना को रोकने में अहम भूमिका के लिए हवलदार विवेक सिंह तोमर को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

-हवलदार विवेक सिंह तोमर के विवरण में कहा गया है, “व्यक्तिगत सुरक्षा की पूरी तरह से उपेक्षा करते हुए, लोग घने धुएं में घुस गए और बड़ी मुश्किल से स्थिति पर काबू पाया तथा भीषण आग की घटनाओं को रोका।”

-पिछले साल अक्टूबर में कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ने के लिए राइफलमैन कुलभूषण मंटा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।

-उनके विवरण के अनुसार, उनके पैर में गोली लगी थी और गंभीर चोट के बावजूद, उन्होंने भाग रहे आतंकवादी का पीछा करने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने उस पर भारी गोलीबारी की और आतंकवादियों की गोलीबारी से अपने सैनिकों की जान बचाई। इस वीरतापूर्ण कार्रवाई के परिणामस्वरूप, इस ऑपरेशन में एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया, जबकि राइफलमैन कुलभूषण मंटा बाद में हुतात्मा हो गए।

-मेजर विजय वर्मा, मेजर सचिन नेगी, मेजर राजेंद्रन प्रसाद, मेजर रविंदर सिंह रावत और नायक भीम सिंह को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनकी भूमिका के लिए शौर्य चक्र मिला, जिनके कारण कई आतंकवादी मारे गए।

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