राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की मुलाकात को लेकर तरह-तरह की राजनीतिक चर्चाएं शुरू हैं। इस बैठक से महाविकास आघाड़ी की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार ग्रुप) के सहयोगी दल नाराज हैं। शिवसेना के ठाकरे गुट और कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि महाविकास आघाड़ी में असमंजस की स्थिति है। इसके साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि हम आगामी चुनाव महाविकास आघाड़ी के तौर पर लड़ेंगे। वहीं, कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि उनके पास प्लान बी है। इस स्थिति में सवाल पूछा जा रहा है कि महाविकास आघाड़ी में वास्तव में क्या चल रहा है?
मविआ नेताओं का बढ़ा ब्लड प्रेशर
इस बीच शिवसेना के शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने महाविकास आघाड़ी को लेकर बड़ा बयान दिया है। संजय शिरसाट ने कहा, “महाविकास आघाड़ी में हर कोई इस समय असमंजस की स्थिति में है। शरद पवार और अजीत पवार की मुलाकात से महाविकास आघाड़ी नेताओं का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है। संजय राउत ने शरद पवार को भीष्म पितामह की उपाधि दे दी है। साथ ही राउत ने यहां तक कह दिया कि शरद पवार का यह व्यवहार ठीक नहीं है। फिर अगले दिन उन्होंने अपना बयान बदल दिया राऊत ने कहा, हम आगामी चुनाव महाविकास आघाड़ी में रहकर लड़ने जा रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेसी कह रहे हैं कि उन्होंने ए, बी, सी जैसे अलग-अलग फॉर्मूले तैयार किए हैं। इससे पता चलता है कि महाविकास आघाड़ी में सामंजस्य नहीं है।”
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विधायक संजय शिरसाट का दावा
विधायक संजय शिरसाट ने कहा, “मैं पहले ही कह चुका हूं कि उनकी महाविकास आघाड़ी नहीं चलेगी। उबाठा गुट (शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी) और कांग्रेस के बीच कहीं भी वैचारिक मेल नहीं हो सकता। इसलिए महाविकास अघाड़ीवाले फिलहाल असमंजस की स्थिति में हैं, वे वेंटिलेटर पर हैं। उन्हें ठीक से पता नहीं है कि कहां जाना है और क्या करना है?”
मविआ में असमंजस की स्थिति
संजय शिरसाट ने कहा, “महाविकास आघाड़ी में असमंजस की स्थिति के कारण उबाठा गुट ने 48 लोकसभा सीटों के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं। क्योंकि उसे समझ में आ गया है कि अब उन्हें ‘एकला चलो रे’ की तैयारी करनी है। इसलिए उन्होंने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। यह भी कहा जाता है कि बी और सी जैसे तमाम फॉर्मूले उनके पास तैयार हैं। ये लोग शरद पवार से छुटकारा पाने के लिए क्या करेंगे? अब पवार का अस्तित्व समाप्त हो गया है और अब ये ठाकरे गुट – कांग्रेस के लिए उपयोगी नहीं है। इसलिए कांग्रेस और उबाठा मविआ से अलग हो जाएंगे। फिर महाविकास आघाड़ी में क्या बचेगा, ये सोचने वाली बात है।”