जम्मू-कश्मीर में शांति तेजी से लौट रही है और इस केंद्र शासित प्रदेश के लोगों का भारतीय संविधान, सेना और कानून-व्यवस्था में विश्वास बढ़ रहा है। हालांकि हताश पाकिस्तान और आतंकी संगठन बीच-बीच में कुछ देशविरोधी अप्रिय घटनाओं को अंजाम देकर ये दिखाने की कोशिश जरुर करते हैं कि उनका अस्तित्व अभी भी बरकरार है। लेकिन अगले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह शांति लौटने की उम्मीद है। इसके संकेत लगातार मिल रहे हैं।
जम्मू- कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय ने 15 अगस्त को अपने युवाओं के साथ देश के लिए मर-मिटने की शपथ लेकर देश के संविधान और कानून में अपनी पूरी आस्था जताई।
वीडियो में क्या है?
जम्मू-कश्मीर से जारी एक वीडियो में गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोग देश रक्षा की शपथ ले रहे हैं। 15 अगस्त को जारी इस वीडियो में वे शपथ ले रहे हैं कि वे भारत के संविधान और कानून को बचाने के लिए, अपने देश की सेना के साथ सीमाओं की सुरक्षा के लिए हमेशा खड़े हैं। जब भी देश को उनकी जरूरत पड़ेगी, पूरे जम्मू कश्मीर के गुज्जर- बकरवाल समुदाय के लोग अपनी जान की बाजी लगाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
गुज्जर- बकरवाल समुदाय है कौन?
बता दें कि गुज्जर- बकरवाल जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक आबादी वाला आदिवासी मुस्लिम समुदाय है। इस समुदाय के लोग भेड़-बकरी पालने का काम करते हैं। ये मौसम के अनुसार अपना ठिकाना बदल देते हैं और प्रवास करते रहते हैं। ये अपने भेड़ों के साथ जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों पर भ्रमण करते रहते हैं। हालांकि इनका वास्तविक निवास क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी हिमालय का पहाड़ी भाग है। इस समुदाय के लोग जम्मू-कश्मीर के साथ ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में भी पाए जाते हैं।
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इस्लाम के अनुयायी
ये इस्लाम के अनुयायी हैं और इस समुदाय के लोग पांच समय नमाज अदा करते हैं। साथ ही रमजान के महीने में रोजा रखते हैं और ईद-उल फितर के साथ ही मुसलमानों के सभी त्योहारो के साथ ही बैसाखी और नवरोज भी मनाते हैं। इनकी शादी इस्लाम रीति-रिवाज से होती है और ये अपने मृत परिजनों को दफनाते हैं, हालांकि इनकी गोत्र व्यवस्था हिंदू गुज्जरों से ली गई है। इनकी ज्यादातर महिलाएं घर का काम करती हैं। वे खाना पकाने के साथ ही कपड़े धोने और अन्य तरह के घर के काम करती हैं।
देश के लिए शुभ संकेत
गुज्जर- बकरवाल समुदाय द्वारा देश के लिए मरने मिटने और भारतीय संविधान तथा कानून में इस तरह की आस्था दिखाना देश के लिए शुभ संकेत हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में शांति लौटने के संकेत हैं। अच्छी बात यह है कि हाल ही पूरे देश के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के मनाया गया। बड़ी बात यह भी है कि इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में 15 अगस्त और उसके पूर्व और बाद में भी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।