जम्मू में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की पहली शाखा का उद्घाटन 26 फरवरी को किया गया। इस मौके पर उनके पौत्र रणजीत सावरकर ने इसके उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। जम्मू में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि इस शाखा की स्थापना का उद्देश्य स्वातंत्र्यवीर के विचारों का प्रचार-प्रसार करना है। इस मौके पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर के कई मुद्दों पर भी बात की। रणजीत सावरकर ने कहा कि वीर सावरकर ने सभी बंदियों की रिहाई के लिए पत्र लिखा था, उन्होंने कभी भी माफी नहीं मांगी। कांग्रेस चाहती थी कि वे कभी भी जेल से बाहर न आएं। यह उसकी गंदी चाल थी।
हिंदू कौन है?
रणजीत सावरकर ने कहा कि वीर सावरकर के अनुसार हिंदुत्व की परिभाषा अलग है। इसमें वो सभी शामिल हैं, जो इस देश को अपना सर्वोपरि मानते हैं। जो लोग इस देश को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि मानते हैं, वे हिंदू हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर मानते थे कि इस देश के प्रति सबसे ज्यादा निष्ठा रखने वाला हिंदू है। उनका मानना था कि पूजा किसी की भी करो, लेकिन मन में यह भावना होनी चाहिए कि यह देश मेरा है। इसके लिए मैं जान दे दूंगा। ऐसी निष्ठा रखनेवाला देश का हर व्यक्ति हिंदू है।
निवासी बनने के लिए 15 साल की शर्त होना गलत
रणजीत सावरकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से मोदी सरकार ने अनुच्छेध 370 हटाकर अच्छा काम किया, लेकिन इसमें यहां के निवासी बनने के लिए 15 साल की शर्त होने से इसका कोई फायदा नहीं होगा। इसके आलावा उन्होंने इस केंद्र शासित प्रदेश के परिसीमन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का 2021 में परिसीमन जरुरी है। 2011 में हुई जनगणना के आधार पर कोई भी निर्णय लेना जम्मू के लोगों के साथ ही देश के लिए घातक साबित होगा, क्योंकि उस समय की जनगणना में मुसलमानों की संख्या ज्यादा दिखाई गई थी।
1990 में पंडितों का नरसंहार साजिश
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणजीत सावरकर ने कहा कि जम्मू का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चला गया। मुसलमानों ने उस क्षेत्र के हिंदुओं के साथ मारकाट की और महिलाओं के साथ भी ज्यादती की। उन्होंने कहा कि 1990 में कश्मीर में जो पंडितों का नरसंहार हुआ, वो सब सरकार के संरक्षण में हुआ। इसलिए आरोपी आसानी से छूट गए। मुसलमानों ने वहां से उन्हें मारकर भगा दिया।
भूल गए उद्देश्य
रणजीत सावरकर ने कहा कि 700 साल तक देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी गई, लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद 70 साल में देश की हालत में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ। सरकार में शामिल नेता अपने मूल उद्देश्य को भूल गए। उनमें हिंदू हित और देशभक्ति की भावना थी ही नहीं।
हिंदुओं पर अन्याय
सावरकर ने कश्मीर और असम में हिंदुओं की स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज कश्मीर के साथ ही असम में भी हिंदुओं पर अन्याय हो रहा है। वीर सावरकर ने इस बारे में पहले ही आगाह किया था। उन्होंने 1949 में ही कहा था कि असम में ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं को बसाओ, लेकिन उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया। इसलिए राज्य में बाहर से आए मुसलमान बस गए। वर्षों से वहां हिंदुओं पर अन्याय किया जा रहा है।
सावरकर के विचार मेरे आदर्शः रिजवी
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू राष्ट्र शक्ति के संस्थापक मौजूद कैप्टन सिकंदर रिजवी ने कहा कि वीर सावरकर के विचार उनके आदर्श हैं। इसलिए उन्होंने इस संगठन की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि जम्मू में स्वांत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की शाखा के शुभारंभ होने से वीर सावरकर के विचारों का प्रचार-प्रसार होगा और लोगों तथा खासकर युवाओं में देशभक्ति जागेगी। उन्होंने कहा कि जब सत्ता भी साथ नहीं देती और व्यवस्था भी साथ न दे तो हिंदू राष्ट्र शक्ति जैसी संस्था की स्थापना करनी पड़ती है।
परिस्थितियां नहीं बदली हैंः एड. अंकुर शर्मा
इस प्रेस कॉफ्रेंस में इक्कजुट्ट संस्था के अध्यक्ष एड. अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 370 हटाए जाने के बाद भी परिस्थितियां नहीं बदली हैं। सिस्टम में ऐसे लोग बैठे हैं, जो बदलाव नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पिछले 70 साल से सरकार इस स्टेट के विरोध में काम कर रही है।
जम्मू सुरक्षित नहीं तो दिल्ली भी नहीं
हिंदू विचारक और राजनीतिक समीक्षक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सिर्फ देशभक्ति की बातें होती हैं, लेकिन लोगों को यह समझना चाहिए कि देश और राष्ट्र में अंतर होता है। देश एक जमीन का टुकड़ा मात्र होता है, जिसे सरकार चलाती है, लेकिन राष्ट्र समाज चलाता है। इसे धर्म व संस्कृति तथा लोगों की भावनाएं चलाती हैं। इसलिए लोगों में राष्ट्रभक्ति जरुरी होती है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में जवाहरलाल नेहरु ने माफी मांगी, उस पर कोई बात नहीं करता, लेकिन वीर सावरकर को लेकर विवाद खड़ा किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू सुरक्षित नहीं है तो दिल्ली भी सुरक्षित नहीं है।
सरकार निभाए अपना वादा
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मैंने पहली बार देखा कि गृह मंत्री के कार्यालय में चाणक्य और वीर सावरकर की तस्वीरें लगाई गई हैं। लेकिन उनके विचारों पर सरकार अभी भी अमल नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को भारतरत्न देने के मुद्दे पर सवाल उठाया जाता है लेकिन ये कोई बड़ी चीज नहीं है। ये एक सैंबल मात्र है। चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने ये वादा किया था, उसे अब अपना वादा निभाना चाहिए।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे भी मौजूद थीं।
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