मिशन मून: चंद्रयान-3 के वो हीरो, जिन्होंने साकार किया भारत का सपना

चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया है।

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भारत (India) ने चंद्रमा (Moon) पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है। इसके बाद हर तरफ भारत की तारीफ हो रही है। इस उपलब्धि के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति (Fourth Space Superpower) बन गया। वहीं, भारत दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के करीब उतरने वाला पहला ऐसा देश बन गया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए चार साल तक दिन-रात मेहनत की। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की तैयारी में 3 साल 9 महीने 14 दिन लगे हैं। इसके पीछे है दिग्गजों की टीम, जिनके कारण भारत आज इतिहास रचने को तैयार है। जानिए, इस मिशन के पीछे कौन-कौन है। तो आइए जानते हैं चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) के वो 5 असली हीरो कौन हैं।

डॉ. एस सोमनाथ
चंद्रयान-3 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में डॉ. एस. सोमनाथ ने व्हीकल मार्क 3 को डिजाइन किया था। इसे बाहुबली रॉकेट भी कहा जाता था। बाहुबली रॉकेट ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा तक ले गया था।

पी वीरमुथुवेल
पी वीरमुथुवेल चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। इससे पहले, वह इसरो मुख्यालय में अंतरिक्ष अवसंरचना कार्यक्रम कार्यालय में उप निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

कल्पना के
चंद्रयान-3 मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी डॉ. कल्पना के दी गई थी। डॉ. कल्पना पिछले चार साल से चंद्रयान मिशन के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। डॉ. कल्पना यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भूमिका निभा रही हैं।

एम शंकरन
एम शंकरन ने जून 2021 में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में निदेशक की भूमिका संभाली है। एम शंकरन वर्तमान में उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार टीम का नेतृत्व कर रहे हैं जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज सहित भारत की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। बता दें कि यूआरएससी को इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के डिजाइन और निर्माण का काम सौंपा गया है।

रितु कारीधाल
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए रितु कारीधाल भी जिम्मेदार थीं। रितु को रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। इसरो ने उन्हें चंद्रयान-3 का मिशन निदेशक बनाया है। कारीधालचंद्रयान-2 समेत कई अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा रहे हैं।

देखें यह वीडियो- चंद्रयान-3: चंद्रमा पर भारत का परचम, इसरो ने रचा इतिहास 

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