विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर (Dr. S Jaishankar) ने 27 अगस्त को जी-20 (G-20) देशों के बिजनेस समूह (B-20) के सम्मेलन में कहा कि आज दुनिया को विकासशील देशों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। कोविड महामारी (covid pandemic) ने हमें यह दिखाया है कि वैश्विक उत्तर और वैश्विक दक्षिण में अंतर बरकरार है।
वैश्विक दक्षिण को केवल उपभोक्ता समझा गया
उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था (global settings) अब तक वैश्विक उत्तर के प्रभुत्व में रही है। यह जी-20 के स्वरूप में भी दिखाई देता है। जी-20 के अध्यक्ष के नाते भारत ने कोशिश की है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज सुनी जाए। इसके लिए भारत ने वैश्विक दक्षिण शिखर सम्मेलन का जनवरी में आयोजन किया। इससे हमें विकासशील देशों की चुनौतियों और प्राथमिकताओं को जानने का अवसर मिला। भारत ने इन्हीं को जी-20 का केन्द्रीय एजेंडा बनाया है। उन्होंने कहा कि जी-20 का मानना है कि आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक दक्षिण की प्रमुख चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब तक वैश्विक दक्षिण (global south) को केवल उपभोक्ता के तौर पर भी देखा जा रहा है न की उत्पादक के तौर पर।
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