जल-थल-नभ से बरसेगा शोला, ब्रम्होस का सफल परीक्षण

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सीमा पर चीन और पाकिस्तान से तनातनी के बीच भारत अपनी संहारक क्षमता में व्यापक सुधार कर रहा है। पिछले एक महीने में देश ने तीसरी युद्धक क्षमता का सफल परीक्षण किया है। इन परीक्षणों की सफलताएं दुश्मन को एक इशारा है कि सीमा लांघी कि जल-थल-नभ से बरसेगा भारत का प्रकोप।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार को स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम सेक्शन के साथ ही कई अन्य ‘मेड इन इंडिया’ उप प्रणालियों से लैस सतह से सतह तक मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का ओडिशा में आईटीआर, बालासोर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसकी मारक क्षमता 400 किमी की गई है। यह स्वदेशीकरण के विस्तार की दिशा में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम है।
ब्रम्होस की विशेषता
* एक रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है
* सबमरीन, शिप, फाइटर जेट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है
* इस मिसाइल को डीआरडीओ और रूस की एनपीओएम संस्था ने मिलकर बनाया है
* दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइल
* ब्रह्मोस लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल (एलएसीएम) की अधिकतम गति मैक 2.8 है
*300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है

रक्षा मंत्री ने दी बंधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस शानदार मिशन के लिए डीआरडीओ के सभी कर्मचारियों और टीम ब्रह्मोस को बधाई दी।

डीडी आरएंडडी सचिव और डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग को शुभकामनाएं दीं। आज के सफल लॉन्च से आत्म निर्भर भारत के संकल्प को साकार करते हुए शक्तिशाली ब्रह्मोस वेपन सिस्टम के लिए स्वदेशी बूस्टर और अन्य स्वदेशी कम्पोनेंट्स के श्रृंखलाबद्ध उत्पादन का रास्ता साफ हुआ है।

रक्षा प्रणाली में भारत की प्रगति
भारत एक व्यापक अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत की आर्थिक और सैन्य व्यवस्था में निरंतर प्रगति के कारण पिछले एक-डेढ़ दशक में भारत के प्रति चीन एवं पाकिस्तान के दृष्टिकोण में नाटकीय बदलाव हुआ है।
भारत अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाता जा रहा है। अमेरिकी विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की परमाणु रणनीति, जो पारंपरिक रूप से पाकिस्तान पर केंद्रित है, अब चीन पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
भारत ने कभी भी सार्वजनिक रूप से अपने परमाणु शस्त्रागार का आकार जारी नहीं किया है। आकलन है कि भारत के आयुध भंडार में 130-140 परमाणु वारहेड है। इसके अलावा 600 किलोग्राम हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम भी है, जो 150-200 परमाणु युद्धों के लिए पर्याप्त है। परंपरागत रूप से, भारत का परमाणु शस्त्रागार पाकिस्तान को रोकने पर ध्यान केंद्रित करता रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से इसमें व्यापक परिवर्तन आया है और भारत अपने परमाणु पदभार को चीन को लक्ष्यित करके विकसित कर रहा है।

चीन को टारगेट करने के लिए मिसाइलों की सूची
– ठोस-ईंधन और रेल-मोबाइल युक्त दो चरणों वाला अग्नि-2 मिसाइल, अग्नि-1 का ही विस्तृत रूप है। परंपरागत या परमाणु युद्धपोत से प्रक्षेपण में सक्षम इस मिसाइल को 2000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक प्रक्षेपित किया जा सकता है और संभवतः यह चीन के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्र को अपना निशाना बना सकता है।
– अग्नि-4 पूर्वोत्तर भारत से बीजिंग और शंघाई सहित लगभग सभी चीन में विचित्र लक्ष्यों के लिए सक्षम होगा।
– भारत ने लंबी-दूरी के लिए एक ठोस-ईंधन, रेल-मोबाइल, सतह से सतह पर मार करने वाले अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) युक्त तीन-चरणों वाले अग्नि-5 का निर्माण किया है जो कि 5000 किलोमीटर (3,100 से अधिक मील) से अधिक दूर स्थित लक्ष्य को भी भेद सकता है।

इन मिसाइलों के बारें में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
वर्तमान में भारत के शस्त्रागार में अग्नि श्रृंखला है,
अग्नि -1 में 700 किलोमीटर की मारक क्षमता
अग्नि -2 में 2,000 किलोमीटर की मारक क्षमता
अग्नि -3 में 2,500 किमी किलोमीटर की मारक क्षमता
अग्नि -4 में 3500 किमी से अधिक की मारक क्षमता है।

अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 5
– मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर की मारक क्षमता (परीक्षण स्तर)
– दुनिया में मौजूदा रडार सिस्टम से इसका पता लगाया जा सकता
– इसका वजन लगभग 50 टन है
– पूरे चीन और पाकिस्तान को टारगेट कर सकता है
– यूरोप भी इसके लक्ष्य में
– अग्नि-5 स्वदेशी तौर पर निर्मित अग्नि श्रृंखला का सबसे उन्नत संस्करण है। पहली बार 2012 में अग्नि-5 का परीक्षण किया गया था तब भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन जैसे देशों के एलीट वर्ग क्लब में शामिल हो गया जो इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है।

परमाणु सक्षम मिसाइलें
– पृथ्वी-2 (350 किमी),
– अग्नि 1 (700 किमी),
– अग्नि 2 (2,000 किमी)
– अग्नि 3 (3,000 किमी)
– अग्नि-5 (5,000 किमी)

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