महाराष्ट्र का बजट सत्रः विपक्ष इन मुद्दों पर अपनाएगा आक्रामक रुख

महाराष्ट्र सरकार के बजट सत्र को लेकर विपक्ष काफी आक्रामक भूमिका अपनाने के मूड में है।

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महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार का बजट सत्र 1 मार्च से शुरू होने जा रहा है। कोरोना महामारी की वजह से यह सत्र समय से काफी पहले 10 मार्च को समाप्त हो जाएगा। इस सत्र को लेकर विपक्ष काफी आक्रामक भूमिका अपनाने के मूड में है। वैसे भी विपक्ष के पास कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर वह आक्रामक रुख अपना कर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है।

संजय राठोड़ मुद्दा
पूजा चव्हाण आत्महत्या के बाद शिवसेनना नेता और वन मंत्री संजय राठोड़ विपक्ष के रडार पर हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष पहले से ही काफी आक्रामक है। वह राठोड़ के इस्तीफे की मांग कर रहा है। बजट सत्र के दौरान विपक्ष इस मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठाकर सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इसके साथ ही विपक्ष इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा है। उसका मानना है कि पुलिस राजनैतिक दबाव के कारण इस मामले में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है।

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धनंजय मुंडे मुद्दा
राज्य में एक तरफ पूजा चव्हाण का मुद्दा गरमाया हुआ है तो दूसरी तरफ सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे का मामला भी ताजा है। विपक्ष इस मुद्दे पर भी महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के मूड में है। धनंजय मुंडे पर रेणु शर्मा नामक महिला ने बलात्कार करने का आरोप लगाया है। उसके बाद मुंडे की अड़चनें काफी बढ़ गई हैं।

सत्र की समयसीमा
विपक्ष इस सत्र को पूरे समय तक चलाने की मांग कर रहा था। लेकिन इस पर विचार करने के लिए कामकाज सलाहकार समिति की हुई बैठक में कोरोना के मद्देनजर सत्र को मात्र 1 मार्च से 10 मार्च तक चलाने का निर्णय लिया गया। विपक्ष इससे काफी नाराज है। उसने सलाहकार समिति की बैठक का वॉकआउट किया था। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इसे लेकर सरकार की काफी आलोचना की थी और उसकी मानसिकता पर सवाल उठाये थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सरकार सत्र जल्द से जल्द खत्म कर विपक्ष के सवालों से बचना चाहती है। सत्र के दौरान एक बार फिर विपक्ष इस मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।

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बंपर बिजली बिल
लॉकडाउन के समय बिजली कंपिनयों ने उपभक्ताओं को बंपर बिजली बिल भेजकर उन्हे परेशानी में डाल दिया था। विशेषकर ग्रामीण भागों में हजारों लोग बिल नहीं भर पाए थे। इस वजह से उनके बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे। हालांकि सरकार की ओर से इस बारे में उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन उसने अपने वादे को नहीं निभाया और उपभोक्ताओं को बढ़ा हुआ बिजली बिल भरने को मजबूर होना पड़ा।

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राज्यपाल को विमान नहीं उपलब्ध कराने का मामला
प्रदेश के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी और सरकार के बीच पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है। हाल ही में सरकार ने उन्हें विमान देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में भी भाजपा ने आक्रामक भूमिका अपनाई थी। अब विपक्ष के सामने एक और मौका होगा। वह इस मुद्दे पर बजट सत्र में सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा।

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