पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए गिलगित बाल्टिस्तान में हाल के वर्षों का सबसे बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने चलो चलो कारगिल चलो के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने इसके साथ ही भारत में विलय की हुंकार भी भरी है।
गिलगित बाल्टिस्तान गृहयुद्ध की कगार पर है। वहां के स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध सड़कों पर हैं। प्रदर्शनकारी शिया समुदाय से हैं, जो शिया मौलवी आगा बाकिर अल हुसैनी की गिरफ्तारी से नाराज हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार आगा बाकिर अल हुसैनी ने स्कर्दू में उलेमा परिषद की बैठक को संबोधित किया था, इसमें ईशनिंदा का आरोप लगाकर पाकिस्तान पुलिस ने उन पर प्रकरण दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जिस बैठक में यह घटना हुई है, वह ईशनिंदा पर कानून को कड़ा करने पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
शिया पर कार्रवाई का इतिहास
पाकिस्तान में सुन्नी और शिया मुस्लिम दोनों ही रहते हैं। सुन्नी मुसलमान बहुमत में हैं। शिया मुसलमान इस्लाम के चौथे खलीफा का विरोध करनेवालों को अपना नबी नहीं मानते। इस मुद्दे को लेकर शिया और सुन्नी में बड़ा मतभेद रहा है। गिलगित बाल्टिस्तान शिया बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की भौगोलिक संरचना को बदलने के लिए पाकिस्तान की सरकारों द्वारा लगातार प्रयत्न होते रहे हैं।
ये भी पढ़ें –महंगा हुआ ATF, हवाई यात्रा हो सकती है महंगी
शिया मौलवी की वो बात बुरी लग गई
समाचार पटल आज तक के अनुसार, मौलवी आगा बाकिर अल हुसैनी ने अपने संबोधन में मुआविया के बेटे यजीद की आलोचना की थी। क्योंकि, यजीद के आदेश पर ही कर्बला की लड़ाई में हुसैन (पैगंबर मोहम्मद के पौत्र) की हत्या हुई थी। शिया मुसलमान मोहर्रम में हुसैन की शहादत पर शोक प्रकट करते हैं, जबकि सुन्नी पैगंबर के समर्थक हैं।