सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अनुच्छेद 370 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर शुक्रवार को चौदहवें दिन की सुनवाई पूरी कर ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 4 सितंबर को करने का आदेश दिया।
1 सितंबर को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि संविधान निर्माता सभी राज्यों के लिए समान संघवाद चाहते थे और यही संविधान की मूल संरचना है। जो उस क्षेत्र की विशेष परिस्थितियों के आधार पर होता है न कि विषमता, भिन्नता, विविधता के कारण होता है। विशेष परिस्थितियों पर आधारित सरकारों का कोई भी मतभेद कभी स्थायी नहीं हो सकता क्योंकि जैसे ही परिस्थितियां बदलती हैं उन प्रावधानों को भी बदलना पड़ता है।
इस तरह चली सुनवाई
-उन्होंने कहा कि हम किस संप्रभुता की बात कर रहे हैं। महाराजा हरि सिंह तब विलय के लिए सहमत हुए, जब वे अपने क्षेत्र की सुरक्षा नहीं कर सके और उनका राज्य खत्म होने वाला था। जो स्पष्टीकरण दिया गया था उसके मुताबिक यह साफ है कि महाराजा को अपने पद पर रहने तक खुद नहीं बल्कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना होगा और यहां तक कि महाराजा की भारत के राष्ट्रपति द्वारा मान्यता मिलनी चाहिए।
-द्विवेदी ने कहा कि अगर भारत के संविधान और जम्मू-कश्मीर के संविधान को देखें तो संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि जब हम जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को देखते हैं तो इसमें कुछ भी अनोखा नहीं है। कुल मिलाकर यह आदेश का पालन करता है और भारत के संविधान का सम्मान करता है। ऐसा बहुत कम है जो उससे अलग हो। उन्होंने भारतीय मंत्रिमंडल की बैठक के मिनट्स ऑफ मीटिंग, माउंटबेटन के दस्तावेज सहित ऐतिहासिक दस्तावेज के जरिए कोर्ट को बताया कि जैसे ही विलय को अंतिम रूप दिया गया जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया।
-ऑल इंडिया कश्मीरी समाज की तरफ से वरिष्ठ वकील वीवी गिरी ने अपनी दलील देते हुए कहा कि अगर इस तर्क का सामना करना कठिन है कि जम्म-कश्मीर में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद भी वहां कुछ जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता बची रह गई है। तो एकीकरण अब पूरा हो गया है अब कोई विशिष्ट शक्तियां विद्यमान नहीं हैं।
-31 अगस्त को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने को तैयार है। वोटर लिस्ट लगभग तैयार हो चुकी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये साफ कर दिया था कि वो इस मामले में फैसला लेने की संवैधानिक प्रकिया पर ही विचार करेगा। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पंचायत चुनाव, नगर निगम के चुनाव के बाद, विधानसभा चुनाव होंगे। केंद्र सरकार ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने लिए कदम उठाए गए हैं, पर ये कब तक होगा, इसका निश्चित वक़्त नहीं बता सकते हैं।
-23 अगस्त को याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें पूरी कर ली गईं। पांच सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
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-दो मार्च 2020 के बाद इस मामले को पहली बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। केंद्र ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों के लिए एक परिसीमन आयोग बनाया है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए भूमि खरीदने की अनुमति देने को लेकर जम्मू एंड कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में संशोधन किया गया है।
-उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने दो मार्च 2020 को अपने आदेश में कहा था कि इस मामले पर सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने मामले को सात जजों की बेंच के समक्ष भेजने की मांग खारिज कर दी थी।
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